जयपुरः पिछले 10 वर्षों में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के मामले में राजस्थान जम्मू-कश्मीर के बाद दूसरे स्थान पर है। पिछले महीने करौली में साम्प्रदायिक तनाव के बाद वहां मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया। तीन अलग-अलग जिलों में प्रदेश की यह पहली नेटबंदी थी। वर्ष 2021 में ग्राम सेवक, पटवारी, आरएएस, रीट, सब इंस्पेक्टर परीक्षा सहित अन्य कारण से 84 बार पूरे प्रदेश में इंटरनेट बंद रहा था। पूरे देश में इंटरनेट बंद करने के मामले में राजस्थान तीसरे स्थान पर है।
ये भी पढ़ें..पुलिस के चंगुल में फंसा शातिर, ऑनलाइन ट्रेडिंग का झांसा देकर हड़पे थे 87 लाख
पोर्टल इंटरनेटशटडाउन के अनुसार, भारत ने 2012 से 2022 तक 643 इंटरनेट शटडाउन के मामले दर्ज किए। इनमें से जम्मू और कश्मीर ने सबसे अधिक 400 मामले दर्ज किए, वहीं राजस्थान 84 के साथ दूसरे स्थान पर रहा। इंटरनेट बंद होने के 30 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है और उसके बाद हरियाणा में बंद के 17 मामले दर्ज किए गए हैं। पश्चिम बंगाल 13 की गिनती के साथ पांचवें स्थान पर रहा।
बिहार में ऐसे 11 , महाराष्ट्र में 12, गुजरात में 11, एमपी 8, मेघालय में 8 और अरुणाचल प्रदेश में 6 मामले दर्ज किये गये। एक गैर सरकारी संगठन, एक्सेस नाउ के अनुसार, “भारत ने 2021 में 106 बार इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया, जबकि उसी वर्ष दुनिया में इंटरनेट बंद होने के 182 मामले सामने आए।” बता दें कि नेट बंदी से व्यापारियों,विद्यार्थियों और आम लोगों के साथ-साथ सेल्यूलर कंपनियों को भारी नुकसान होता है। एक घण्टे नेटबंदी से सेल्यूलर कम्पनी को करीब 2.50 करोड़ का नुकसान होता है।
क्या कहता है कानून
पिछले वर्ष अनुराधा भसीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट की आसान उपलब्धता को मौलिक अधिकार माना था। वर्ष 2021 में ही शशि थरुर की अध्यक्षता में संसदीय समिति ने भी बार-बार नेटबंदी पर चिंता जताई और अन्य विकल्प तलाशने का सुझाव दिया।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)