
रायगढ़ः छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिला के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में अभियुक्त को दस- दस साल के सश्रम कैद की सजा सुनायी गयी हैं । न्यायालय ने सोमवार को आरोप सिद्धि के लिये प्रिवेंटिंव थ्योरी का प्रयोग करते हुये कठोर दंड दिये जाने को न्यायपथ प्रशस्त होने का कारण माना हैं।
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बता दें कि मामला 14 अक्टूबर 2019 का हैं, सारंगढ़ के परसाडीह गांव में पांच माह की गर्भवती पीड़िता अपनी सास के साथ कमरे में अलग-अलग खाट में सोयी थी । रात करीब 1.30 बजे के लगभग अभियुक्त नरायण दास माणिकपुरी वहां आया और उसका मुंह दबाकर खीचते हुये बाहर आंगन में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीडिता ने सारंगढ़ पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी। उप निरीक्षक कुसुम कैवर्त ने रिपोर्ट पर भादवि की धारा 450 व 376(2)(ज)के तहत अपराध दर्ज किया और अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया मामला न्यायलय में पेश किया गया।
न्यायधीश श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी ने सभी पहलुओ पर विचार के पश्चात अभियुक्त को दंड के काबिल पाया और उसे दोनों धारा में दस-दस साल की सश्रम कारावास एवं पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया, दस हजार की यह राशि पीड़िता को प्रदान की जायेगी। अर्थदंड अदा नहीं किये जाने पर अभियुक्त को 6 – 6 माह की अतरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। मामले में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक अनूप सिंह साहू ने पैरवी की ।
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