लखनऊ। अगर समय रहते मरीज को इमरजेंसी में इलाज के लिए लाया जाए तो उसे बचाया जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार अभी भी 60-70 फीसदी मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं। इतना ही नहीं, सिर्फ सड़क दुर्घटना के मामले में ही नहीं, हार्ट अटैक व लकवा आदि आने पर भी देर से अस्पताल पहुंचते हैं। जिससे मरीजों का इलाज और मुश्किल हो जाता है।
यूपी पुलिस की नई पहल
सड़क दुर्घटना में पीआरवी द्वारा घायल व्यक्तियों को गोल्डेन ऑवर में अस्पताल पहुँचाना सड़क दुर्घटना में घायलों के बहुमूल्य जीवन को बचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यूपी पुलिस की इस कोशिश से सड़क दुर्घटना के समय देर से पहुंचने के कारण होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकेगी।
जनपदीय सीमा की कोई बाध्यता नहीं
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के उपचार हेतु पीआरवी पर इवेंट प्राप्त होने के पश्चात दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को सम्बंधित जनपद के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या जिला अस्पताल ले जाने में यदि अधिक समय लग रहा हो और गोल्डेन ऑवर में चिकित्सा मिलने में देरी हो रही हो, तो ऐसी अवस्था में घायलों को घटना स्थल के निकटतम किसी भी जनपद के स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाकर उनके जीवन की रक्षा की जा सके इसमे जनपदीय सीमा की कोई बाध्यता नहीं होगी।
इस सम्बन्ध में प्रदेश के सभी कमिश्नरेट व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि यूपी 112 के अंतर्गत संचालित पीआरवी वाहनों को सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को विशेष रूप से गोल्डेन ऑवर के प्रथम पहर में चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित किया जाये। आवश्यकता अनुरुप पीआरवी द्वारा घायल को पड़ोसी जनपद के निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व जिला अस्पताल में पहुँचाकर बहुमूल्य जीवन बचाया जाए।
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इसलिए है जरूरत –
दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति के शरीर से काफी खून बह जाता है। ऐसे में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए खून के बहाव को तुरंत रोकना बहुत जरूरी होता है। इस स्थिति में मरीज को जल्द से जल्द अगर इलाज मिल सके तो होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। दुर्घटनाओं में ज्यादातर मरीजों की मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से ही होती है।
महत्वपूर्ण है गोल्डन ऑवर –
किसी भी गम्भीर परिस्थिति में मरीज के लिए दुर्घटना के बाद का एक घंटा बेहद अहम होता है। इस समय में दिया गया इलाज उसकी जिंदगी को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए इसे गोल्डन आवर कहा जाता है। भारत में हैदराबाद व बेंगलुरु जैसे शहरों को छोड़कर अधिकतर जगहों पर एंबुलेंस में प्रशिक्षित लोगों की कमी है। जिससे गोल्डन आवर का सही उपयोग नहीं हो पाता और अधिकांश लोग दुर्घटना के बाद दम तोड़ देते हैं।
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रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान