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सात जन्म साथ निभाने का वादा सात घंटे में ही टूटा, दुल्हन की डोली के बजाय निकली अर्थी

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पटनाः बिहार के मुंगेर जिले में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिस पर लोगों को सहसा विश्वास नहीं हो रहा। यहां सात फेरे लेने और मांग में सिंदूर भरे महज पांच से छह घंटे ही बीते थे कि अचानक तबियत खराब होने के बाद दुल्हन की मौत हो गई। जिस घर से ससुराल के लिए दुल्हन की डोली निकलनी थी वहां से सुबह उसकी अर्थी निकली और परंपरा के मुताबिक पति ने ही मुखाग्नि भी दी।

मुंगेर जिले के तारापुर अनुमंडल के अफजल नगर पंचायत के खुदिया गांव में रंजन यादव उर्फ रंजय की बेटी निशा कुमारी की शादी को लेकर परिवार के लोग काफी खुश और उत्साहित थे। तय समय के मुताबिक हवेली खड़गपुर प्रखंड के महकोला गांव से सुरेश यादव के पुत्र रवीश की बारात पहुंची और शादी ब्याह की रस्म पूरी की गई। कोरोना गाइडलाइन का पालने करते हुए कुछ ही संख्या में बाराती पहुंचे, शादी को लेकर दोनों परिजनों में उत्साह था। शादी को लेकर सभी विधि-विधान चल रहे थे। दुल्हा और दुल्हन ने सात फेरे भी लिए और दुल्हा ने दुल्हन की मांग भी भर दी थी, इसके बाद अचानक दुल्हन बनी निशा की तबियत बिगड़ गई। दोनों परिजनों ने आनन-फानन में दुल्हन निशा को तारापुर स्थित सामुदायिक केंद्र लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया। इलाज के दौरान ही लाल सुर्ख जोड़े में निशा ने अंतिम सांस ली।

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इस घटना के बाद खुदियां गांव में मातम पसर गया। लोग इस घटना से हतप्रभ रहे गये। अभी कुछ ही समय पहले दुल्हे के साथ निशा ने जीवनभर साथ निभाने का वादा किया था और कुछ ही घंटों में साथ छोड दिया। इस बीच, हालांकि दुल्हन निशा के साथ जीवन बिताने के सात फेरे लेने वाले पति रवीश कुमार को अपनी पत्नी को डोली पर बिठाकर विदा कर अपने घर महकोला की जगह उनके शव को सीधे श्मशान ले जाना पड़ा। सुल्तानगंज शमसान घाट पर रवीश ने सनातन परंपरा के मुताबिक मुखग्नि दी और कुछ ही घंटे पहले पत्नी बनी निशा को अंतिम विदाई दी। इधर, इस घटना को लेकर पूरे गांव में मातम पसरा है तथा लोग चर्चा भी कर रहे हैं।