नई दिल्लीः शादी के बाद माता-पिता बनने का सुख पाना हर दंपत्ति का सपना होता है। ये सुख किसी-किसी दंपत्ति को जल्दी ही मिल जाता है, जबकि कुछ लोगों को इंतजार करना पड़ता है। दरअसल, गर्भधारण में ओव्यूलेशन पीरियड के महत्व (Importance of ovulation period in pregnancy) को समझने से पहले आइए जानते हैं ओव्यूलेशन पीरियड किसे कहते हैं और यह कब होता है (What is ovulation period and when does it happen) –
दरअसल, महिलाओं के अंडाशय से अंडे बाहर निकलने की प्रक्रिया को ओव्यूलेशन (ovulation) कहते हैं। ओव्यूलेशन की प्रक्रिया में अंडाशय से निकला एक अंडा गर्भाशय के रास्ते में फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) तक पहुंता है, जहां वह पुरुष के वीर्य का इंतजार करता है। इस समय अगर फैलोपियन ट्यूब में जीवित शुक्राणु मौजूद हो तो कंसीव (गर्भधारण) करने के चांस बढ़ जाते हैं। बता दें कि अंडाशय से निकला अंडा लगभगभ 24 से 36 घंटे तक जीवित रहा है, और वहीं शुक्राणु महिला के शरीर में करीब पांच दिन तक जीवित रह सकता है।
कब होता है ओव्यूलेशन (When does ovulation happen) –
ओव्यूलेशन का समय महिलाओं के मासिक चक्र के समय पर निर्भर करता है। मान लीजिये कि अगर आपका पीरियड साइकिल 28 दिन का है तो ओव्यूलेशन 14 के दिन के आसपास होगा। वहीं, अगर किसी की पीरियड साइकिल 28 से 32 दिनों के बीच हो, उसको ओव्यूलेशन 14 से 19वें दिन के बीच होगा। ओव्यूलेशन से दो दिन पहले संबंध बनाने पर महिला के गर्भधारण करने का चांस सबसे अधिक होता है।
ओव्यूलेशन पीरियड को कैसे समझें (How to understand ovulation period) –
ओव्यूलेशन पीरियड से दो दिन पहले संबंध बनाने से प्रेग्नेंसी आसानी से हो सकती है, लेकिन इसके लिये पहले आपको अपना ओव्यूलेशन पीरियड को समझने की जरूरत है। आमतौर पर महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं होती। लेकिन आप अपने शरीर में हो रहे छोटे-छोटे बदलावों को गौर करें तों इस पीरियड को समझ सकती हैं।
ओव्यूलेशन के जानें लक्षण (Know the symptoms of ovulation) –
ओव्यूलेशन के दौरान शरीर कुछ लक्षणों को इंगित करता है। जैसे – योनी से निकलने वाला द्रव गाढ़ा हो जाता है, वहीं इस दौरान आपको पेट के नीचले हिस्से में हल्के दर्द (mild pain in the lower abdomen) की शिकायत हो सकती है। कुछ महिलाओं को मितली व सिर दर्द (nausea and headache) की भी अनुभूति होती है। इसके अलावा ओव्यूलेशन (ovulation) के दौरान महिलाएं अधिक उत्तेजित व कामुक हो जाती हैं। इसके अलावा आप मेडिकल की दुकान से ओव्यूलेशन किट (ovulation kit) से भी अपना ओव्यूलेशन टेस्ट कर सकती हैं। दरअसल, ओव्यूलेशन के दौरान पेशाब में एलएच नामक हार्मोन (LH) का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिसे किट के माध्यम से पता लगाया जाता है।
गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलती है प्रेग्नेंसी (How many days after conception can pregnancy be detected) –
अंडा व शुक्राणु निषेचित हो जाने के बाद शरीर में कोरियोनिक गोनाडोट्रोपित एचसीजी हार्मोन रिलीज होने लगता है। इस हार्मोन को प्रेग्नेंसी हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। इस हार्मोन के रिलीज होने में लगभग 10 दिन का समय लगता है। प्रेग्नेंसी का पहला लक्षण है पीरियड का मिस होना (Missed period is the first symptom of pregnancy)। अगर आप बच्चा चाह रही हैं और आपका पीरियड मिस हुए सात से आठ दिन हो चुके हैं तो यह सही समय है जब आप प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती हैं। ऐसा इसलिये क्योंकि प्रेग्नेंट होने पर महिला के खून में एचसीजी हाॅर्मोन (HCG) बनने लगता है और इस प्रक्रिया को पूरा होने में एक हफ्ते का समय लग जाता है। हालांकि अगर आपका पीरियड रेगुलर नहीं रहता, तो यह पता करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वहीं, टेंशन या शारीरिक समस्याओं से भी कई बार पीरियड अपने समय से पहले या बाद में होता है। इस स्थिति में अपना पीरियड साइकिल बीतने का इंतजार करें और इसके बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट करें।
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किस समय करें प्रेग्नेंसी टेस्ट (what time to do pregnancy test) –
चिकित्सकों की मानें तो सुबह का समय प्रेग्नेंसी का परीक्षण करने के लिये सबसे अच्छा होता है। ऐसा इसलिये क्योंकि इस समय आपके मूत्र में भ्ब्ळ यानी ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन की मात्रा सबसे अधिक होती है, जबकि दिनभर में खाने-पीने व मूत्र त्यागने के बाद HCG के स्तर का सही अनुमान लगा पाना कठिन हो जाता है। अगर आपके पीरियड को मिस हुए दो-चार दिन ही हुए हैं तो बेहतर परिणाम पाने के लिये आपको थोड़ा और इंतजार करना चाहिये। इसके लिये आप पीरियड मिस होने के सातवें-आठवें दिन ही प्रेग्नेंसी किट से अपनी प्रेग्नेंसी चेक करें।
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