Sunday, December 22, 2024
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प्रशांत किशोर का तंज, बोले- चुनाव हारकर जुगाड़ के सहारे कुर्सी से चिपके हुए हैं नीतीश कुमार

Bihar Politics: 2014 में ‘बिहार में बहार बा, नीतीश कुमार बा…’ का नारा देने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर हैं। आज बेगुसराय में चल रही पदयात्रा के दौरान जन सुराज नेता प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने नीतीश कुमार के लिए प्रचार किया और उन्हें जिताने में अपना योगदान दिया।

उन्होंने कहा कि एक प्रशासक के रूप में, एक नेता के रूप में और मानवता के आधार पर 2014 और 2023 के नीतीश कुमार में जमीन-आसमान का अंतर है। जिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम हैं, उन्हीं के नेतृत्व में 2005 से 2012-13 तक बिहार में विकास हुआ। 2014-15 में मदद की थी। इससे पता चला कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सुधार हो रहा है और नीतीश जी ने अपना पद छोड़कर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया है।

2014 के मुलाकात पर क्या बोले प्रशांत किशोर

2014 में नीतीश कुमार हमसे मदद मांगने दिल्ली आये थे। तब मैंने उनसे कहा था कि आप बिहार को अच्छे से चला रहे थे, बिहार में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, फिर मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद आप किनारे क्यों हो गए। तब नीतीश कुमार ने कहा कि हम चुनाव हार गये, उस वक्त मैंने उनसे वादा किया था। कि आप दोबारा मुख्यमंत्री बनें, बिहार को वैसे ही बेहतर बनाएं जैसे बना रहे थे और चुनाव के लिहाज से जो भी मदद की जरूरत होगी हम देंगे। इसलिए उनकी मदद की और चुनाव भी जीता। सात निश्चय की कल्पना की और बिहार विकास मिशन भी बनाया।

प्रशांत किशोर ने कहा कि हम सरकार में शामिल नहीं थे, लेकिन रणनीति-सुझाव के तौर पर जो कुछ किया जा सकता था, किया। जो बिहार 2005 से 2012 तक सुधरता दिख रहा था, वह 2015 से 2023 तक बिगड़ता नजर आ रहा है।

कभी लालटेन तो कभी कमल पकड़ लेते हैं नीतीश

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार, जिनकी हमने नेता के तौर पर मदद की थी, वो चुनाव नहीं हारे हैं। उनकी पार्टी को लोकसभा में झटका लगा, दो सांसद जीत गए, लेकिन विधानसभा में उनके 117 विधायक जीत गए। उन्हें जनता का बहुमत मिला। आज नीतीश कुमार चुनाव हार गये हैं। 243 विधानसभा सीटों में से उनके पास 42 विधायक हैं।

उस समय नीतीश कुमार चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन राजनीतिक मर्यादा के चलते उन्होंने पद छोड़ दिया था और मांझी जी को सीएम बनाया गया था। आज वह चुनाव हार गये हैं, लेकिन किसी न किसी चाल से अपनी कुर्सी से चिपके हुए हैं, कभी लालटेन पकड़ते हैं तो कभी कमल पकड़ते हैं।

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