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स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने से रायबरेली में तेज हुईं राजनीतिक हलचलें

रायबरेलीः प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल रहे वरिष्ठ मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे और सपा में शामिल होने के बाद रायबरेली की राजनीतिक हलचलें भी तेज हो गईं है। ऊंचाहार से तीन बार के विधायक रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अपने राजनीतिक आधार को तलाशने में जुटे थे। यह अलग बात है कि उनकी तलाश पांच साल तक सत्ता का सुख लेने के बाद ही पूरी हुई। रायबरेली के ऊंचाहार से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले मौर्य जमीन से जुड़े नेता माने जाते रहे हैं लेकिन 2016 में अपनी विचारधारा से पूरी तरह अलग भाजपा में वह शामिल हो गए और न केवल विधायक बनकर मंत्री बने बल्कि उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य भी बदायूं से टिकट दिलाकर मोदी लहर में सांसद बन गईं। हालांकि उनके बेटे अशोक मौर्य ऊंचाहार से दुबारा चुनाव हार गए।

रायबरेली की बदल सकती है राजनीति
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद सबसे ज्यादा असर रायबरेली में हो सकता है लेकिन मौर्य के लिए परिस्थियां पहले जैसी बिल्कुल भी नहीं रहने वाली। मंत्रिमंडल में इस्तीफे के बाद वह सपा में शामिल भी हो गए हैं लेकिन रायबरेली में उनके लिए यह कितना फायदेमंद होगा, यह समय ही बताएगा। उनकी परम्परागत सीट पर अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रहे और पार्टी प्रवक्ता मनोज पांडे दो बार से जीत रहे हैं। इस सीट पर मौर्य या उनके बेटे को समायोजित करना पार्टी के लिए इतना आसान नहीं होगा। इसके अलावा उनके भाजपा छोड़ने के बाद स्थानीय समीकरण भी तेजी से बदलने की उम्मीद है और कई ऐसे चेहरे मौर्य के जाने के बाद भाजपा में शामिल हो सकते हैं जिसका सीधा असर ऊंचाहार विधानसभा सीट पर होगा जिसे स्वामी प्रसाद मौर्य किसी भी कीमत पर अपने पास ही चाहेंगे।

बयानों से विवाद का रहा नाता
स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयानों को लेकर लगातार विवादों में रहे हैं और 2014 में हिन्दू देवी-देवताओं पर उनका दिया बयान काफी चर्चित रहा जिसमें उन्होंने कहा था कि शादियों में गौरी गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए, यह मनुवादी व्यवस्था में दलितों और पिछड़ों को गुमराह कर गुलाम बनाने की साजिश है। जिसके बाद काफी बवाल मचा और भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया था। इसके अलावा शीला दीक्षित व आजम खान पर भी निशाना साधा था। हालांकि 2017 में तीन तलाक पर उन्होंने अपने ट्रैक को बदलते हुए मुस्लिम समुदाय पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि हवस मिटाने के लिए लोग बीबियां बदलते हैं। उनके इस बयान पर भी काफी हंगामा मचा था। अभी एक महीने पहले ही उन्होंने सपा पर मौर्य और कुशवाहा समाज को अपमानित करने का आरोप लगाया था। कुल मिलाकर मौर्य के बयान समय और पार्टी के हिसाब से लगातार बदलते रहे हैं जिससे पार्टियों को परेशानी झेलनी पड़ती रही है।

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कद्दावर नेता हैं स्वामी प्रसाद मौर्य

स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं और पिछड़े वर्ग में उनकी काफी पकड़ रही है। ऊंचाहार से 1996 में वह पहली बार विधायक बने और 1997 में मायावती के मंत्रिमंडल में उन्हें स्थान मिला। 2001 में वह बसपा के विधानमंडल दल के नेता भी रहे हैं। वह पांच बार के विधायक व कई बार मंत्री भी रहे हैं। हालांकि 2019 में वह योगी सरकार में विभाग बदले जाने से खासा नाराज भी थे।

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