रांची : झारखंड में अवैध शराब कारोबारी जहरीली शराब (alcohol) परोस रहे हैं। पांच साल में राज्य में जहरीली शराब पीने से 427 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने जारी किया है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में 41, 2017 में 76, 2018 में 56, 2019 में 115 और 2020 में 139 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है।
झारखंड उत्पाद संशोधन विधयेक 2022 को विधानसभा के मानसून सत्र में चार अगस्त को विधानसभा से मंजूरी मिल गयी। झारखंड में अवैध, नकली या मिलावटी शराब (alcohol) पीने से मौत होने पर कोर्ट के आदेश से दोषी को 10 लाख रुपये तक का मुआवजा पीड़ित परिवार को देना होगा। साथ ही 10 साल तक कारावास में रहना होगा। अगर दोषी कोर्ट के आदेश के तहत मुआवजे का भुगतान नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति में कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषी के चल-अचल संपत्ति से मुआवजे की वसूली की जायेगी।
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अवैध शराब (alcohol) से अपंगता या गंभीर तौर पर क्षति होने की स्थिति में कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये गये व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा पीड़ित को देना होगा। यदि अवैध शराब (alcohol) के कारण किसी व्यक्ति को कोई क्षति नहीं हुई हो, फिर भी ऐसे मामलों में उस शराब व्यवसायी को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपये के दंड का प्रावधान किया गया है। उल्लेखनीय है कि जिलों के सीमावर्ती गांवों, नदियों-नालों के किनारों और जंगलों में शराब की भट्ठियां चल रही हैं। पुलिस और आबकारी विभाग को भी इसकी जानकारी है। यह सारा कारोबार इनकी नाक के नीचे और मिलीभगत से फल-फूल रहा है। कार्रवाई के नाम पर समान जब्त कर अज्ञात के विरुद्ध अधिकतर मामले दर्ज कर इतिश्री कर लिया जाता है।
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