पांच वर्ष तक के बच्चों में मौत का कारण बन सकता है निमोनिया, बदलते मौसम में रखें खास ख्याल

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नई दिल्लीः सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ ही निमोनिया जैसी बीमारियों का प्रकोप भी शुरू हो जाता है। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है। निमोनिया सभी उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन पांच साल तक के बच्चों को ज्यादा परेशान करता है। कभी-कभी निमोनिया बच्चों की मृत्यु का कारण भी बन जाता है। निमोनिया से बचाने के लिए शून्य से पांच वर्ष के बच्चों का सर्दियों में खास ख्याल रखना चाहिए। वर्तमान समय में कोरोना महामारी के चलते भी बच्चों की सेहत का विशेष ध्यान देना बेहद आवश्यक है। निमोनिया के लक्षण सर्दी-जुकाम के लक्षणों से बहुत हद तक मिलते हैं। इसलिए जल्द से जल्द लक्षणों को पहचाने।

निमोनिया के लक्षण
सांस तेज लेना एवं सांस लेते समय गढ़ गढ़ की आवाज आना निमोनिया का प्रमुख लक्षण हैं। निमोनिया के आम लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में परेशानी होती है। उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं।

इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों को ठंडी वस्तुओं का सेवन न करने दें। नवजात शिशु को मां का दूध जरूर दें। मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है जो बैक्टीरिया, वायरस व फंगस के कारण होता है। फेफड़ों की वायु कोष्टिका में सूजन आना निमोनिया की पहचान है। नवजात शिशुओं में विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन यदि नवजात शिशु देखने में बीमार लगे, या दूध न पिए, रोये या बुखार हो तो शिशु निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है। बच्चा सुस्त हो जाता है। बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध (कोलस्ट्रम) अवश्य पिलाना चाहिए।

बच्चों को ऐसे लोगों से रखें दूर
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसते व छीकते हैं तो इसका वायरस व बैक्टीरिया सांस द्वारा फेफड़ों तक पहुंच कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। इस बीमारी से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए। यदि मां भी बीमारी से संक्रमित है तो बच्चे को गोद में लेते समय या दूध पिलाते समय मास्क लगाएं। निमोनिया का उपचार नहीं मिलने पर जान भी जा सकती है। तुरंत ही बाल चिकित्सक से परीक्षण कराकर उपचार कराएं।

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निमोनिया से बचाव
वैक्सीन लें, बच्चों का पूर्ण टीकाकरण कराएं व स्वच्छता का ध्यान रखें, धूम्रपान न करें, पर्याप्त नींद लें, नियमित रूप से व्यायाम करें, पौष्टिक आहार लें।

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