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पितृपक्ष 2021 : गलती से भी ना करें ये भूल वरना पितरों की आत्मा हो जाती है नाराज

नई दिल्लीः हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस पक्ष में पितर यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने ​परिवार के आसपास विचरण करते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला पितृपक्ष (महालया) आज अगस्त मुनि को जल देने के साथ ही शुरू हो गया। शास्त्रों के अनुसार जिनका निधन हो चुका है वे सभी पितृपक्ष के दिनों में अपने सूक्ष्म रूप के साथ धरती पर आते हैं तथा परिजनों का तर्पण स्वीकार करते हैं, प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

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शास्त्रों में भी पितरों को देवताओं की तरह समर्थवान माना गया है। पितर भी देवताओं की तरह आशीर्वाद देते हैं, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा वे नाराज भी होते हैं, जिससे जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस पवित्र पक्ष में कुछ ऐसे कार्य हैं, जिनको नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पितरों की आत्मा नाराज हो जाती है। तो आइए जानते हैं वे कौन से कार्य हैं जो पितृपक्ष में नहीं करना चाहिए।

भूल कर भी इन बर्तनों का न करें प्रयोग

पितृपक्ष में भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि अगर पितरों के लिए लोहे के बर्तनों में खाना बने या परोसा जाए तो इससे पितर नाराज हो जाते हैं। इससे परिवार की सुख-शांति और समृद्धि पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस दौरान आप तांबा, पीतल या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग कर सकते हैं।

कोई भी शुभ कार्य न करें

पितृ पक्ष पितरों को याद करने का समय है। इसलिए परिवार में एक तरफ से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए और न ही नई वस्तु की खरीदारी करनी चाहिए, ऐसा करना अशुभ होता है।

इन बातों का रखें ध्यान

पितृपक्ष में अगर पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं तो शरीर पर तेल का प्रयोग और पान का सेवन करने से बचे। साथ ही अगर संभव हो सके तो दाढ़ी और बाल भी नहीं कटवाने चाहिए। शास्त्रों में इस दौरान इत्र का प्रयोग करना भी वर्जित माना गया है। ऐसा करने से पितर नाराज होते हैं, जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

किसी का भी न करें अपमान

पितृपक्ष के समय भूलकर भी किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए। पता नहीं पितर किसी रूप में आपके दरवाजे पर आ जाएं और आपके व्यवहार से उनको ठेस पहुंच जाए। इसलिए इन दिनों में न तो जानवर और न ही किसी इंसान का अपमान करना चाहिए। पितृपक्ष के समय हमेशा सात्विक भोजन करना उत्तम माना गया है क्योंकि इसी भोजन से पितरों का भोग लगाया जाता है। भूलकर भी प्याज व लहसुन से बने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

 ब्रह्मचर्य का पूरी तरह करें पालन, क्रोध करने से बचे

पितृपक्ष की अवधि में अपने मन, वाणी और तन पर पूरा संयम रखना चाहिए। भूलकर भी इन दिनों किसी को भी मन और वाणी से बुरा नहीं बोलना चाहिए और न ही बुरे कर्म करने चाहिए। यह समय पितरों को याद करने का है इसलिए वाद-विवाद और बहसबाजी से दूरी बनाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से पितर नाराज होते हैं कि उनके घर के लोग आपस में झगड़ रहे हैं।

पितृपक्ष में मन पर संयम रखकर पितरों का ध्यान किया जाता है और मन को पवित्र रखा जाता है। इसलिए पति-पत्नी दोनों को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। और ब्रह्मचर्य का पूरी तरह पालन करना चाहिए। पितृपक्ष में पितर घर में ही निवास करते हैं इसलिए उनको नाराज करना सही नहीं रहेगा।

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