नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जांच एजेंसियों के प्रमुखों को एक-एक साल का सेवा विस्तार देकर उनको समझौते के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसा करना जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता पर हमला है। इस मामले पर जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही है।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि इस तरह का सेवा विस्तार देने से जांच एजेंसियों के प्रमुखों की ओर से की जाने वाली जांच स्वतंत्र नहीं हो सकती है। ऐसे में सेवा विस्तार के लिए किए गए संशोधन को निरस्त किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने वकील गोपाल शंकरनारायण की दलीलों का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने संशोधन के जरिये प्रोबेशन की तरह की स्थिति तैयार की है। जांच एजेंसी के निदेशक को सरकार की इच्छा के मुताबिक काम करने को मजबूर किया जा रहा है और तभी उन्हें सेवा विस्तार दिया जा रहा है। इससे जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
सुनवाई के दौरान इस मामले में कोर्ट की मदद कर रहे एमिकस क्युरी केवी विश्वनाथन ने सेवा विस्तार को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि लोग आएंगे और जाएंगे लेकिन संस्थान जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईडी के प्रमुख का सेवा विस्तार बढ़ाने के लिए सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट में 2021 में किया गया संशोधन पूरे तरीके से गैर-कानूनी है। उन्होंने विनीत नारायण, प्रकाश सिंह द्वितीय, कॉमन कॉज प्रथम और कॉमन कॉज द्वितीय के फैसलों का उदाहरण दिया।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने याचिका दायर की है। केंद्र सरकार का कहना है कि ये याचिकाएं मनी लाउंड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे नेताओं को बचाने की कोशिश है। याचिकाओं में कहा गया है कि ईडी निदेशक के रूप में संजय मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि 17 नवंबर 2022 को मिश्रा को फिर से एक साल का विस्तार दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि संजय मिश्रा को और सेवा विस्तार नहीं देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार अपनी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पदाधिकारियों के खिलाफ कर रही है। राजनीतिक द्वेष की भावना से विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए जांच के नाम पर कांग्रेस नेताओं को परेशान किया जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
दरअसल, 8 सितंबर 2021 को न्यायमूर्ति एल। नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा को नवंबर 2021 तक सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को सेवा विस्तार का अधिकार है, लेकिन ऐसा बहुत जरूरी मामलों में ही किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि सेवा विस्तार सीमित समय के लिए होना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि ईडी निदेशक को नवंबर 2021 के बाद और सेवा विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए। उसके बाद नवंबर 2021 में एक अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार ने ईडी और सीबीआई के निदेशक का कार्यकाल पांच साल के लिए करने की व्यवस्था की है। इसके तहत ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2022 तक बढ़ाया गया था।
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