लखनऊः मई माह में समुद्री तूफान ताउते और यास सक्रिय हुआ, जिससे उत्तर प्रदेश में तय समय से करीब एक सप्ताह पहले मानसून ने दस्तक दे दी थी। इससे लोगों को एक तरफ जहां गर्मी से निजात मिली तो वहीं बारिश से किसान भी अपनी फसलों को लेकर आश्वान्वित दिखे। इसके बाद पिछले करीब 10 दिनों से मानसून अनिश्चितता में चला गया और उमस भरी गर्मी से लोग बेहाल रहें। हालांकि स्थानीय स्तर पर कहीं न कहीं छुटपुट बारिश होती रही, पर मानसूनी बारिश न होने से लोग भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। वहीं अब मौसम विभाग ने पूर्वानुमान लगाया है कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है जो जल्दी से शेष उत्तर भारत को कवर करेगा।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पाण्डेय ने शनिवार को बताया कि 11 जुलाई को बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है, जिससे देश के मध्य और उत्तरी भागों में कमजोर मानसून चरण समाप्त हो जाएगा। पिछले 10 दिनों या इससे भी अधिक समय से तराई के करीब ट्रफ रेखा के खिसकने के बाद मानसून अनिश्चितता में चला गया था। वर्षा की गतिविधि ज्यादातर पूर्व और पूर्वोत्तर भारत तक ही सीमित थी।
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बिहार की तलहटी और नेपाल की पर्वत श्रृंखलाओं के जलग्रहण क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश के कारण बिहार के उत्तरी जिलों जैसे चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, अररिया, किशनगंज और पूर्णिया में जलमग्न वाली स्थिति बन गयी। इस सीजन में अब तक केवल एक कम दबाव का क्षेत्र बना है। यह मौसम प्रणाली 11 जून को बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर बनी और देश के पूर्व, उत्तर-पूर्व और मध्य भागों में मानसून की गति को तेज कर दिया। दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के बाहरी इलाकों में पहुंचने के बाद मानसून का प्रवाह अवरुद्ध हो गया।