लखनऊः प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बनने वाले 05 बस स्टेशनों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। अब परिवहन निगम और निवेशकर्ता के बीच जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी होने बाद निर्माण कार्य शुरू होगा।
राजधानी में पीपीपी मॉडल पर बनने वाला एक बस स्टेशन शामिल है। विभूति खंड बस स्टेशन का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में किया जाएगा। राजधानी का आलमबाग बस स्टेशन प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बनने वाला पहला बस स्टेशन है। वर्ष 2016 में यह बस स्टेशन बनकर तैयार हुआ था। इसी बस स्टेशन की तर्ज पर यूपी सरकार ने प्रदेश के 23 बस स्टेशनों को बनाने का निर्णय लिया था। हालांकि, 2017 से शुरू हुई कवायद अंततः 2023 में जाकर पूरी हुई। इस दौरान पीपीपी माॅडल के बस स्टेशनों के निर्माण के लिए निवेशकों की तलाश में तीन से चार बार टेंडर आमंत्रित किए गए और करोड़ों रुपए खर्च भी हुए। अब 2023 में पीपीपी मॉडल पर पांच बस स्टेशनों को बनाने की मंजूरी सरकार की ओर से दो कम्पनियों को दी गई है।
अत्याधुनिक बस स्टेशन बनाने के लिए जल्द ही इन दोनों कम्पनियों को लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी किया जाएगा। 18 अन्य बस स्टेशनों के लिए परिवहन निगम अब टेंडर आमंत्रित करेगा। प्रधान प्रबंधक आईटी यजुवेंद्र ने बताया कि निवेशकर्ता को जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए दो महीने का समय दिया गया है। इस दौरान निवेशकर्ता द्वारा एसपीवी का गठन किया जाएगा और निगम के साथ निवेशकर्ता कंसेशन एंग्रीमेंट साइन करेगा। पीपीपी मॉडल पर लखनऊ में विभूति खंड, प्रयागराज में सिविल लाइंस, आगरा में आगरा फोर्ट, गाजियाबाद में कौशांबी और पुराना गाजियाबाद बस स्टेशनों का निर्माण होगा। इनके लिए दो कम्पनियों का चयन किया गया था। इनमें मेसर्स ओमैक्स व एजी इंटरप्राइजेज शामिल हैं।
टेंडर प्रक्रिया में खर्च किए करोड़ों रुपए
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर प्रदेश में 23 बस स्टेशनों को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने कई बार टेंडर आमंत्रित किए। तीन से चार बार आमंत्रित किए गए टेंडर में परिवहन निगम ने 5 से 6 करोड़ रुपए खर्च किए। इसके साथ ही इन्वेस्टर्स समिट के साथ ही महंगे होटलों में कई बार इन्वेस्टर्स के साथ बैठक भी हुई। इसके बाद भी निवेशकों ने दिलचस्पी नहीं दिखायी। पांच वर्षों में सिर्फ आलमबाग बस स्टेश नही पीपीपी मोड पर बनाया जा सका।
अडानी ने दिखाई थी दिलचस्पी
उत्तर प्रदेश में बनने वाले पीपीपी मॉडल के 23 बस स्टेशनों के लिए निवेशकर्ता के तौर पर कई कम्पनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। इनमें देश के नामी-गिरामी उद्योगपति गौतम अडानी की कम्पनी भी शामिल थी। हालांकि, बीते कुछ माह पहले विश्व स्तर पर अडानी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। जिसके बाद अडानी ग्रुप ने पीपीपी मॉडल के टेंडर से अपना नाम वापस ले लिया था।
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