रायपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर आयोजित विशेष सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के विधायक एवं पूर्वमंत्री अजय चंद्राकर और सत्ता पक्ष के मंत्री शिव डहरिया के बीच तीखी नोंंक-झोंक,बहस और धक्कामुक्की हुई। सदन में आरक्षण बिल पेश होने को लेकर विपक्ष की आपत्ति के बाद जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष के अजय चंद्राकर और सत्ता पक्ष के विधायक शिव डहरिया के बीच नोंंक-झोंक के बाद हाथापाई की स्थिति बन गई थी। ऐसा छत्तीसगढ़ के विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के वरिष्ठ सदस्यों ने दोनों के बीच विवाद को शांत कराया। नारेबाजी, शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित हुई।
इसके पूर्व संसद में अजय चंद्राकर ने कहा कि ट्वीट कर कहा गया कि हम आदिवासियों के साथ हैं, मुख्यमंत्री ने भी लिखा कि हमने सत्र आहुत करने का आग्रह किया है। पीसीसी चीफ़ और मुख्यमंत्री को यह कैसे पता चल गया कि सत्र 1 और 2 दिसंबर को आहुत किया जाएगा। हमने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है, इस पर चर्चा कराई जाए, कौन सा विधेयक है, जिसे अब तक वितरित नहीं किया गया है। अजय चंद्राकर ने सदन के राजनीतिक दुरुपयोग की बात कहते हुए कहा कि विधानसभा में जितने सत्र हुए हैं, वह विषय केंद्रीय हुआ है। यदि आरक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाया जा रहा है तो फिर अनुपूरक बजट कैसे लाया जा रहा है?
संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सत्र के विषय तय किए गए। हमने आरक्षण के विषय पर ही विशेष सत्र आहुत कराया है। पूरे प्रदेश के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाया गया है, क्या आप इसका विरोध कर रहे हैं। विधान सभा अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने कहा कि सदन में जो भी बिज़नेस आया है, यह कार्यमंत्रणा समिति की तरफ़ से ही आया है। बीजेपी विधायक ननकी राम कंवर ने कहा कि आरक्षण के मामले में सरकार ने कोर्ट में ठीक ढंग से जवाब नहीं दिया। मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने जो ग़लत किया है, आज उसे ही ठीक किया जा रहा है।
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बीजेपी विधायक शिव रतन शर्मा ने कहा कि विधानसभा का अपमान है कि सत्र की अधिसूचना जारी होने के पहले पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम को सत्र की जानकारी कैसे मिली? यह विधानसभा की गरिमा का अपमान है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि कार्य संचालन की पुस्तक में ये कहां लिखा है कि विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। ये गंभीर विषय है कि जब किसी को यह नहीं पता कि सत्र कब से शुरू होगा, क्या सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी कि विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 19 सितम्बर को आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट का फ़ैसला आया था। दो महीने बाद तक सरकार का ध्यान इस ओर नहीं आया। सरकार अधिसूचना जारी कर सकती थी। भानुप्रतापपुर उप चुनाव पांच दिसम्बर को है। हमारा अनुरोध है कि सत्र 9 दिसम्बर को बुलाया जाये। 8 दिसम्बर को उप चुनाव के नतीजे आ जाएंगे।
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