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अब सरकारी नौकरी से पूर्व संतान होने पर भी मिलेगा मातृत्व अवकाश, सरकार ने किया नियमों में संशोधन

जयपुरः प्रदेश की गहलोत सरकार ने महिलाकर्मियों को मातृत्व अवकाश के नियमों में संशोधन कर बड़ी सौगात दी है। इसके तहत अब सरकारी नौकरी से पूर्व संतान होने पर भी महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश मिल सकेगा। इसके लिए संबंधित महिला कार्मिक को सरकारी सेवा में आने के 15 दिनों में बच्चे की जानकारी देनी होगी। वित्त विभाग के विशेष सचिव सुधीर कुमार शर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।

आदेश में स्पष्ट किया गया है कि जो मातृत्व अवकाश मिलेगा, वह बच्चे के जन्म के 15 दिन पहले से गिना जाएगा। महिला कर्मचारी को अवकाश का लाभ लेने के लिए सरकारी सेवा में आने के 15 दिन के भीतर बच्चे की जन्म से संबंधित पूरी जानकारी विभाग को देनी पड़ेगी। अगर 15 दिन के भीतर बच्चे के जन्म की जानकारी नहीं दी जाती है तो महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश की हकदार नहीं होगी। महिला कर्मचारी को 180 दिनों का मातृत्व अवकाश मिलता है। इसमें महिलाएं बच्चे के जन्म से पहले और बाद तक इस अवकाश का लाभ ले सकती हैं। राजस्थान में साल 2018 से चाइल्ड केयर लीव लागू हुआ था। इसमें 760 दिन की छुट्टी मिलती है। इसमें बच्चे की उम्र 18 साल होने तक टुकड़ों में यह छुट्टी ली जा सकती हैं।

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हालांकि, इसमें एक बार में 60 दिन तक की ही छुट्टी ली जा सकती है। महिला कर्मचारियों को 2018 से पहले बच्चे की देखभाल के लिए कोई अवकाश नहीं मिलता था, लेकिन लगातार महिला संगठनों की ओर से उठाई गई मांग के बाद तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने इसकी घोषणा की थी। मातृत्व अवकाश को लेकर कुछ कानूनी पेचीदगियां भी थी। अगर महिला कर्मचारी की नियुक्ति के कुछ दिन या महीने पहले बच्चे का जन्म होता था तो उसे मेटरनिटी लीव नहीं मिल रही थी। इसको लेकर कई मामले अदालतों में भी पहुंचे थे। इसी बीच लगातार आ रही शिकायतों के बाद अब वित्त विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। वित्त विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया अगर कोई भी महिला कर्मचारी नौकरी ज्वाइन करने से पहले बच्चे को जन्म दे चुकी है तो उसे भी अब मैटरनिटी लीव यानी मातृत्व अवकाश का लाभ मिल सकेगा।

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