लखनऊः यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आगाम चुनाव से पहले एक बड़ा फैसला लिया है। अब सरकारी अधिकारियों की विवाहित बेटियां भी मृतक आश्रित कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाने की पात्र होंगी। ये सुविधा उन विवाहित स्त्रियों के लिए होंगी, जिनके पिता की नौकरी के दौरान मौत हो जाती है। सर्कुलेशन में बनी राज्य कैबिनेट ने अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी देने के लिए मृतक सरकारी अधिकारियों के आश्रितों की श्रेणी में ‘विवाहित बेटियों’ को शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वहीं इस कदम को विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए महिला समर्थक अभियान का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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बता दें कि अब तक, केवल पत्नी, एक विवाहित/अविवाहित पुत्र और अविवाहित पुत्री को मृत सरकारी अधिकारी के आश्रित के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि कैबिनेट ने ‘आश्रित बेटियों’ की परिभाषा को विस्तृत करते हुए इसमें विवाहित बेटियों को भी शामिल किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने हालांकि कहा कि मृतक की पत्नी, विवाहित/अविवाहित पुत्र और अविवाहित पुत्री के बाद विवाहित पुत्री को निम्न क्रम में रखा जाएगा।
नियमों में किया गया संशोधन
सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “अगर परिवार के अन्य सदस्य सरकारी नौकरी करने से इनकार करते हैं तो उसे भी नौकरी मिल सकती है।” यह प्रस्ताव मृत सरकारी सेवक नियम 2021 में 12वें संशोधन के रूप में पेश किया गया था।इस साल की शुरुआत में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के नियमों में विवाहित बेटियों को ‘परिवार’ की परिभाषा से बाहर करना ‘असंवैधानिक’ और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
कोर्ट में दी गई थी चुनौती
जनवरी में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि एक विवाहित बेटी अपने विवाहित भाई या अविवाहित बहन की तुलना में अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी के लिए ‘कम योग्य नहीं’ है। अदालत मंजुल श्रीवास्तव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने प्रयागराज जिला बुनियादी शिक्षा अधिकारी के जून 2020 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने राज्य सरकार में अपनी सेवा के दौरान अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के उनके दावे को खारिज कर दिया था। केंद्र ने ‘परिवार’ की परिभाषा में विवाहित बेटियों को भी शामिल किया है।
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