उत्तर प्रदेश क्राइम

लखनऊ से पकड़ा गया घुसपैठ में मदद करने वाले एनजीओ संचालक अबू सालेह

लखनऊ: यूपी एटीएस ने लखनऊ से अबू सालेह नाम के एक शख्स को पकड़ा। अबू सालेह पर NGO की आड़ में घुसपैठियों को मदद पहुंचाने का आरोप है। अबू सालेह की एनजीओ विदेशों से पैसे लेकर देश में घुसने वाले घुसपैठियों को भारत का नागरिक बनने में जरूरी कागजात उपलब्ध करावाता है। इसके साथ ही वह इन घुसपैठियों को उपयोग देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में भी करता है। अबू सालेह पर यह भी आरोप है कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों तक 58 करोड़ रुपए पहुंचाने में मदद की है।

जांच में जुटी एसटीएफ

उत्तर प्रदेश एटीएस के प्रमुख मोहित अग्रवाल ने कहा कि पूर्व में गिरफ्तार किए गए छह अन्य अभियुक्तों से मिली जानकारी के आधार पर अबू सालेह को पकड़ा गया है। अबू सहेल मंडल को लखनऊ के मानक नगर स्थित आलमबाग इंटर कॉलेज से गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। पकड़े गए आरोपी के एनजीओ के खाते में अवैध तरीके से विदेश से पैसा ट्रांसफर किया गया हैं। ये रुपए 2018 से 2022 के बीच साल सालों में ट्रांसफर किए गए। ये एनजीओ यूके की है। जिसे सीज कर दिया गया है। इसकी भी जांच होगी। वहीं, सहारनपुर में रहने वाले लोगों के खाते में 2 करोड़ ट्रांसफर किए गए। यह भी पढ़ेंः-Divya Pahuja murder case: दिल्ली की एक युवती गिरफ्तार, पूछताछ खुला ये राज अभियुक्त अबू सालेह ने बताया कि वह हरोआ-अल जमियातुल इस्लामिया दारूल उलूम मदरसा एवं कबीरबाग मिल्लत एकेडमी के नाम की ट्रस्टों का संचालक है। ट्रस्टों के खातों में विदेशों (उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट, यूके) से भारी मात्रा में वर्ष 2018 से 2022 तक लगभग 58 करोड़ की फंडिंग प्राप्त हुई है। यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि पूर्व में उक्त उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट, जिस पर टेरर फंडिग में संलिप्तता का आरोप लगने के कारण यू.एस. ने इसके कार्यों को अपने यहाँ पर प्रतिबन्धित कर दिया था। फिलहाल इसकी पुष्टि एटीएस नहीं कर रही उसका कहना है इस बात की जांच की जा रही है। करने की अपुष्ट खबरें भी हैं।

राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में प्रयोग होता था पैसा

अबू सलाह ने बताया कि वह प्राप्त विदेशी फंड के एक बड़े हिस्से को अपनी टीम के सदस्यों से फर्जी बिलिंग कराकर कैश प्राप्त कर लेता है। इसके अतिरिक्त अब्दुला गाजी नामक व्यक्ति के साथ मिलकर एक गाजी फूड्स सप्लाई एवं गाजी मैसनरीज नाम से फर्जी फर्म बनाकर भी बिलिंग कराई जाती थी। यह दोनों फर्म केवल कागजों में ही बनाई गई हैं इनका कहीं कोई अस्तित्व नहीं है। साथ ही कुछ धन हवाला के माध्यम से भी कैश के रूप में भी प्राप्त किया गया है। प्राप्त कैश का उपयोग अवैध रूप से रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ कराने, अवैध रूप से रह रहें रोहिंग्याओं एवं बांग्लादेशियों की आर्थिक सहायता करने, फर्जी भारतीय दस्तावेज बनवाने के बाद उनको भारत के विभिन्न राज्यों में भेज कर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में प्रयोग किया जाता है। रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)