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जल पर्यटन के नए अंदाज से खुल सकते हैं विकास के कई द्वार

Water tourism के नए अंदाज से खुल सकते हैं विकास के कई द्वार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैली हमेशा से ही लीक से हटकर सोचने और कुछ नया कर गुजरने की रही है, यही बात उन्हें आमलोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है। पीएम मोदी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास को हरी झंडी दिखाकर उन्होंने एक और कीर्तिमान स्थापित रचा है।

ये कदम कई मायनों खास है, जिससे देश में जल पर्यटन में लम्बी छलांग की उम्मीदें बढ़ी हैं। क्रूज पर्यटन का यह नया दौर जल पर्यटन को नई बुलंदियों तक ले जाएगा और युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके भी करेगा। वाराणसी से डिब्रूगढ़ के बीच क्रूज सेवा के चलने से पूर्वी भारत के अनेक पर्यटक स्थलों को विश्व पर्यटन मानचित्र में प्रमुखता से लाने में मदद मिलेगी।

एक तरफ ये देखा जाए तो देश में क्रूज पर्यटन और विरासत पर्यटन का यह संगम ऐसे समय में हो रहा है, जब देश में पर्यटन का एक बुलंद दौर शुरू हो रहा है। अमूमन, भारत की वैश्विक भूमिका जिस बढ़ रही है, उसी तरह भारत को देखने, भारत को जानने और भारत को समझने की लालसा भी लोगों में बढ़ रही है। इसलिए जल, थल व आकाश से भारत आने और घूमने वाले लोगों को क्रूज यात्रा एक नया और अलहदा अनुभव देगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के इस कदम से न केवल उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड, बल्कि पश्चिम बंगाल और असम में छिपी जल पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को भी तलाशा और तराशा जा सकता है। ये बात तो हम सभी जानते हैं कि गंगा हमारे लिए सिर्फ एक जलधारा भर नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से महान भारत भूमि की तप-तपस्या की साक्षी है। इसलिए यह रिवर क्रूज यात्रा एक साथ कई नए अनुभव लेकर आने वाली है।

अपने देश आने वालों और रिवर क्रूज के शौकीन लोगों में से जो लोग अध्यात्म की खोज में हैं, उन्हें वाराणसी, बोधगया, विक्रमशिला, पटना साहिब की यात्रा करने का सौभाग्य भी प्राप्त होगा। वहीं, जो लोग भारत की राष्ट्रीय विविधता को देखना चाहते हैं, उन्हें यह क्रूज सुंदरवन और असम के जंगलों की सैर कराएगा। साथ ही जो लोग बहुराष्ट्रीय क्रूज अनुभव लेना चाहते हैं, उन्हें ढाका से होकर गुजरने का अवसर मिलेगा।

यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा कि, जिस तरह से यह क्रूज 51 दिन में 3,200 किलोमीटर की रोमांचक यात्रा पूरी कर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बंगलादेश से गुजरते हुए डिब्रूगढ़ पहुंचेगा, उससे नेशनल और इंटरनेशनल दोनों तरह के रिलेशन अच्छे होंगे और इन क्षेत्रों में भी रोजगार की नई सम्भावनाएं पैदा होंगी। क्रूज के सैलानी देश-प्रदेश की संस्कृति व अध्यात्म (culture and spirituality) से रूबरू होंगे।

वहीं, बनारस टेंट सिटी के उद्घाटन से यह स्पष्ट हो गया कि निकट भविष्य में बक्सर, आरा, पटना, हथिदह-सिमरिया, मुंगेर, सुल्तानगंज, भागलपुर, कहलगांव, साहेबगंज, राजमहल, हावड़ा आदि जगहों पर भी ऐसे टेंट सिटी कंसेप्ट विस्तार पा सकते हैं। इससे इन इलाकों में नौका, गोंडोला, हाउसबोट, शिकारा, पैडलबोट, जेट-स्की या यहां तक कि एक पुरानी नौका में जाने के अवसर से पर्यटन और रोजगार के क्षेत्र में चार चांद लग जाएंगे।

चूंकि बनारस में गंगा पार बनाई गई टेंट सिटी काशी आने वाले श्रद्धालुओं को एक नया अनुभव देगी। क्योंकि इस टेंट सिटी में आधुनिकता भी है, अध्यात्म और आस्था भी है। राग से लेकर स्वाद तक बनारस का हर रस, हर रंग इस टेंट सिटी में देखने को मिलेगा। दरअसल, यह परियोजना शहर के घाटों के सामने विकसित की गई है। इसलिए इस बात के प्रबल आसार हैं कि अन्य महत्वपूर्ण गंगा घाटों पर भी ऐसी सिटी निकट भविष्य में आकार ग्रहण कर लेगी।

इसलिए उम्मीद है कि क्रूज संचालन में विभिन्न राज्य सरकारें व बांग्लादेश की सरकार हरसंभव मदद करेंगी, ताकि सुरक्षित माहौल में जल पर्यटन की समस्त सम्भावनाओं का विकास हो सके। इस बात में कोई दो राय नहीं कि गंगा विलास जल परिवहन के क्षेत्र में भी सम्भावनाओं के नए द्वार खोलेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अपने इस ऐतिहासिक कदम से प्रधानमंत्री ने ट्रांसपोर्टेशन से ट्रांसफॉर्मेशन यानी परिवहन से परिवर्तन करने का अपना वायदा भी पूरा कर लिया है।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में मल्टी मॉडल टर्मिनल, यूपी-बिहार में फ्लोटिंग जेटी, असम में समुद्री वाहन कौशल केंद्र, जहाज मरम्मत केंद्र, टर्मिनल कनेक्टिविटी परियोजना का भी शिलान्यास व लोकार्पण किया है, उससे इस बात की उम्मीद जगी है कि क्रूज पर्यटन के अलावा सरकार यहां पर जल यातायात और माल परिवहन की सम्भवनाओं को भी विस्तार देने वाली है। यदि ऐसा हुआ तो लैंड लॉक स्टेट समझे जाने वाले यूपी-बिहार के कृषि उत्पादों को जल मार्ग द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजना और सस्ता हो जाएगा। इसे कहते हैं- एक पंथ, दो काज।

आप मानें या न मानें, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम यूपी-बिहार के लिए विशेष मायने इसलिए भी रखता है, क्योंकि बड़ी आबादी को कृषि और पशुपालन के अलावा पर्यटन के क्षेत्र में भी नया काम मिलेगा। इससे अन्य उद्योग-धंधों के विकास में भी काफी मदद मिलेगी।

कमलेश पांडेय