नई दिल्ली: स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने शनिवार को कहा कि भारत को कोचिंग संस्थानों की बढ़ती संस्कृति पर बहस करने की जरूरत है।
स्कूल शिक्षा सचिव यहां 5वें फिक्की अराईज स्कूल शिक्षा सम्मेलन में ‘रिबूट-री-इमेजिन-रीबिल्ड’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि क्या कोचिंग कुछ ऐसा है जो शिक्षा को बढ़ाता है या शिक्षा कुछ अलग है। हमें इसके बारे में बात करने की जरूरत है। जिस तरह से चीजें हो रही हैं, हम देख रहे हैं कि हमारे स्कूल कई स्तरों पर खाली हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस पर एक बातचीत विकसित करने की आवश्यकता है।
कुमार ने कहा कि हम कहां जा रहे हैं, हमें इसके बारे में सोचने की जरूरत है। इस कोचिंग और अन्य सभी चीजों का हमारे सिस्टम पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है। यहां तक कि 10वीं या 12वीं कक्षा करने के लिए भी हमें कोचिंग सिस्टम का सहारा लेना पड़ रहा है।
कॉलेजों में प्रवेश के लिए असामान्य रूप से उच्च कट ऑफ अंकों की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, स्कूल शिक्षा सचिव ने कहा कि जिस तरह से समाज में अंकों के गुब्बारों को देखा जा रहा है। अंग्रेजी और हिंदी में भी आपको 100 प्रतिशत अंक मिल रहे हैं। मनोवैज्ञानिक ने कल पूछा था कि 100 फीसदी अंक लाने वाला बच्चा खुद के साथ कैसा व्यवहार करता है।
उन्होंने कहा कि लगभग 4.6 प्रतिशत के मौजूदा खर्च से, भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसलिए जब अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, हमें शिक्षा पर और अधिक निवेश करने की जरूरत है, यह एक और विचार है जो हमें व्यस्त रखता है। कुमार ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य हम सभी में आंतरिक प्रकाश का विकास करना है ताकि हम दुनिया में अपना रास्ता खोज सकें।
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