वाराणसी: विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने कहा कि बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत एक उभरती शक्ति है। भारतीय विदेश नीति अब ज्यादा वैश्विक सरोकारों से जुड़ती हुई बहुआयामी स्वरूप ग्रहण कर रही है। इसमें अब ज्यादा भू-रणनीतिक यथार्थता और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के राष्ट्रीय हित को संरक्षित करने की क्षमता निर्मित हुई है।
दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को शहर में आये विदेश मंत्री ‘काशी तमिल संगमम’ में भाग लेने के बाद बीएचयू में आयोजित व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के सभागार में विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं विशिष्ट नागरिकों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि कोरोना के वैश्विक प्रसार के दौरान भारत ने ना केवल अपने आबादी को सुरक्षित किया अपितु दुनिया भर में इसके टीके को निर्यात कर वैश्विक नेतृत्व का परिचय दिया। हमने वैश्विक विमर्शों को अब आकार देना शुरू किया है और आने वाले दिनों में दुनिया भर के वैश्विक सवालों को सुलझाने का भी सामर्थ्य हमारी विदेश नीति में होगा।
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विदेश मंत्री ने कहा कि इस 21वीं सदी में डेटा, तकनीक और विचारों की ताकत से ही नई दुनिया पर राज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत को अभी हाल में ही जी-20 की अध्यक्षता प्राप्त हुई है और जल्दी ही बनारस में जी-20 देशों के विकास मंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत के महत्वपूर्ण शक्ति बनने की आकांक्षा बिना ज्ञान के पावर हाउस बने संभव नहीं है। इसमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने विशाल ज्ञान नेटवर्क और मानव संसाधन के साथ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि काशी सभ्यता, ज्ञान और विमर्श की नगरी रही है और एक मूल्य के रूप में यह विश्वविद्यालय आजादी के बाद के भारत की सर्वोत्तम आकांक्षाओं को प्रतिबिम्बित करता है।
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