लखनऊः पशु पालकों के सामने सालों-साल कई दिक्कतें आती हैं। इनमें हरा चारा भी प्रमुख है। किसान इसके लिए तमाम दिक्कतें उठाते है। बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक हरा चारा मिल सकता है, लेकिन जो लंबे समय तक साथ दे उसे भी अब ढूंढ़ निकाला गया है। थोड़ा सा प्रयास करने पर पशु पालकों के लिए नेपियर घास अच्छा विकल्प बन सकता है।
नेपियर घास को रोपने के बाद 4-5 साल तक हरा चारा मिल सकता है। सीतापुर जिले के बिसवां ब्लॉक में ऐसे पौधे लगाए गए हैं। इसके एक पौधे से कई पौधे तैयार हो गए हैं। अब यहां किसानों को साल भर हरा चारा उपलब्ध रहता है। किसानों के बीच यह तेजी से लोकप्रिय भी हो रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों को साल भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर के लिए उत्साहित करता है। यहां से 3 हजार से भी ज्यादा किसान नेपियर ले गए। नेपियर पशुपालकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। इसकी खास बात यह होती है कि इसे साल में कभी भी लगा सकते हैं। एक पौधा लगाने पर उसी से सैकड़ों पौधे तैयार किया जा सकता है।
मेड़ पर लगा सकते हैं घास
किसान अब नेपियर को हरे चारे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे मेड़ पर लगाकर खेत में दूसरी फसलें लगा सकते हैं। यह 50 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसमें ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है। गन्ने की तरह दिखने वाले नेपियर घास लगाने के महज 50 दिनों में विकसित होकर अगले 4-5 साल तक लगातार पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकता है। प्रोटीन और विटामिन से भरपूर नेपियर घास पशुओं के लिए एक उत्तम आहार की जरूरत को पूरा करता है। दुधारू पशुओं को लगातार यह घास खिलाने से दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हाइब्रिड नेपियर की जड़ को 3-3 फीट की दूरी पर रोपित किया जाता है। इससे पहले खेत की जुताई और समतलीकरण करने के बाद घास की रोपाई की जाती है और रोपाई के बाद सिंचाई की जाती है। घास रोपण के मात्र 50 दिनों बाद यह हरे चारे के रूप में विकसित हो जाता है। एक बार घास के विकसित होने के बाद 4-5 साल तक कटाई कर इसका इस्तेमाल पशुओं के आहार के रूप में किया जा सकता है।
40 दिन में हो जाती है तैयार
नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300-400 क्विंटल होता है। इस घास की खासियत यह होती है कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती हैं और 40 दिन में वह दोबारा पशुओं के खिलाने लायक हो जाता है। प्रत्येक कटाई के बाद घास की जड़ों के आस-पास हल्का यूरिया का छिड़काव करने से इसमें तेजी से बढ़ोत्तरी भी होती है। वैसे इसके बेहतर उत्पादन के जिए गोबर की खाद का छिड़काव भी किया जाना चाहिए।
खेत की तैयारी और समय
नेपियर घास की रोपाई साल भर की जा सकती है। रोपाई के लिए खेत की जुताई करके खेत को समतल कर लेना चाहिए। बीज की मात्रा प्रति एकड़ 50 सेमी लम्बी जड़ों की 2-3 गांठों वाले 11,000 टुकड़ों या पौध की प्रति एकड़ जरूरत पड़ती है। टुकड़े का आधा हिस्सा जमीन के ऊपर हवा में और बाकी जमीन के अंदर रहना चाहिए।
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जरूरत होने पर करें पानी का छिड़काव
गर्मियों में 10-15 दिन के अंतराल पर व अन्य मौसम में वर्षा के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। कटाइयों की संख्या को जरूरत के हिसाब पर पहली कटाई रोपाई के दो महीने बाद व उसके बाद 45 दिन बाद करनी चाहिए। सर्दियों में इसकी कम पैदावार मिलती है।