नई दिल्लीः मोदी सरकार ने अब कृषि फसलों के निर्यात को बढ़ावा देने की तैयारी की है। इस सिलसिले में बैठकों का दौर शुरू हुआ है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), व्यापारियों, निर्यातकों, कृषि वैज्ञानिकों, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संस्थानों के सहयोग से वाराणसी में बैठक कर निर्यात की संभावनाओं पर विचार किया। बैठक में वाराणसी के 200 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जहां कृषि वैज्ञानिकों और प्रमुख संस्थानों के अधिकारियों ने क्षेत्र से कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त अच्छी कृषि पद्धतियों (जीएपी) के पालन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।
किसानों को जीएपी कार्यान्वयन, कीट मुक्त खेती सुनिश्चित करने, ताजे फलों और सब्जियों में रोगों की पहचान, पौधों के संगरोध, और पूर्वी उत्तर प्रदेश से कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति पर भी तकनीकी जानकारी प्रदान की गई।
इस बैठक में आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान, आईसीएआर- भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, आईसीएआर- भारतीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, आईआरआरआई- दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र, नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र और उत्तर प्रदेश राज्य कृषि और बागवानी विभागों के कृषि वैज्ञानिकों और प्रमुख संस्थानों के अधिकारियों ने भाग लिया।
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केले के निर्यात पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें एपीडा पंजीकृत निर्यातक के प्रतिनिधि ने प्रतिभागियों को केले के प्रसंस्करण के बारे में जानकारी दी। एपीडा भारत की कृषि उपज को वैश्विक बाजार में निर्यात करने के उद्देश्य से सभी हितधारकों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। वाराणसी क्षेत्र से कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने में एपीडा द्वारा प्रदान की गई सहायता पर एक प्रस्तुति भी दी गई।