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डॉ. कलामः जानिए मिसाइल मैन के बारे में कुछ खास बातें

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नई दिल्ली: देश के करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा स्त्रोत और 11 वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज पुण्यतिथि है। डॉ. कलाम का युवाओं पर खासा गहरा प्रभाव था और राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद वह शिक्षा के क्षेत्र में काम करने लगे थे। जिसके चलते डॉ. कलाम के जन्मदिन 15 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2010 में विश्व छात्र दिवस घोषित किया गया था। तो आइए आज हम आपको डॉ. कलाम के जीवन से जुड़े कुछ ऐसी बातों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पोखरण में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाई थी। मिसाइल प्रोजेक्ट में शानदार योगदान देने के चलते डॉ. कलाम को मिसाइल मैन की उपाधि दी गई। स्वदेशी मिसाइलों अग्नि और पृथ्वी के विकास का श्रेय उनको ही जाता है।

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते थे, उनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। लेकिन वह दिल से सेक्यूलर व्यक्ति थे और वो सभी धर्मों से बड़ा धर्म मानवता को मानते थे। डॉ. कलाम को 40 यूनिवर्सिटीज से 7 डॉक्टरेट की उपाधियां मिली थीं। उन्होंने कुल 18 किताबें और 22 कविताएं लिखीं थीं।

डॉ. कलाम ने 1963 में नासा का दौरा किया था और उसके बाद उन्होंने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) और SLV-3 प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को वर्ष 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इससे पहले डॉ. कलाम को ISRO और DRDO में दिए योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका था।

डॉ. कलाम को जब राष्ट्रपति चुना गया, तो उनके स्वागत के लिए राष्ट्रपति भवन को भव्य तरीके से सजाया गया। तमाम तैयारियां यह सोचकर की गईं कि नये राष्ट्रपति का सामान ठीक ढंग से रखा जायेगा, क्योंकि हर किसी को उम्मीद थी कि देश के राष्ट्रपति के पास कम से कम ट्रक भरकर सामान तो होगा, लेकिन हुआ इससे ठीक उलट क्योंकि कलाम साहब राष्ट्रपति भवन महज दो सूटकेस लेकर पहुंचे थे।

डॉ. कलाम 27 जुलाई 2015 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग में जब छात्र-छात्राओं के बीच मंच से भाषण देने पहुंचे तो शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि यह संबोधन उनका अंतिम हो। इस स्पीच के दौरान उन्होंने न सिर्फ मानवता को लेकर चिंता जाहिर की थी बल्कि धरती पर फैले प्रदूषण को लेकर भी चिंता जताई थी। इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में ओडिशा के तट पर मौजूद व्हीलर आइलैंड को साल 2015 में अब्दुल कलाम आइलैंड नाम दे दिया गया था। बता दें कि भारत की इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज मिसाइल टेस्टिंग इसी द्वीप पर होती है।