नई दिल्लीः कश्मीर में एक मुठभेड़ के दौरान सोमवार को आतंकियों की गोलियों से घायल हुए फौजी कुत्ते ‘जूम’ की गुरुवार को सेना के पशु चिकित्सालय में मौत हो गई। भारतीय सेना के इस बहादुर कुत्ते को 2 गोलियां लगी थीं, लेकिन फिर भी वह आतंकियों से लड़ता रहा। सेना के ट्रेंड कुत्ते देश की रक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ट्रेनिंग के बाद ये ‘सैनिक’ बन जाते हैं। इनका लक्ष्य दुश्मनों की हर नापाक चाल को नाकाम करना होता है।
दक्षिण कश्मीर स्थित अनंतनाग जिले में आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने पर सुरक्षाबलों ने तंगपावा इलाके में रविवार देर रात घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। रातभर खोजबीन के बाद भी आतंकवादियों के सटीक ठिकाने का पता नहीं चल सका। इसलिए सोमवार की सुबह सेना के अधिकारियों ने अपने बहादुर ‘जूम’ नाम के हमलावर डॉग की मदद लेने का फैसला लिया। जूम इससे पहले भी कई सक्रिय अभियानों का हिस्सा रहा है और कई मिशन में सेना को कामयाबी दिलाई है।
सेना ने जूम पर बॉडी कैम लगाया और उस घर के अंदर भेजा, जहां आतंकवादी छिपे हुए थे। फौजी जूम ने घर में छिपे दो आतंकियों को खोजकर उन पर हमला बोल दिया और उन पर कूदा। इस पर आतंकियों ने अपनी असॉल्ट राइफलों से हमला बोलकर जूम को दो गोलियां गोली मार दीं। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद जूम आतंकियों से लड़ता रहा और आखिरकार दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया। दोनों आतंकियों की पहचान द रेसिस्टेंस फ्रंट के आसिफ अहमद उर्फ हुबैब और वकील अहमद उर्फ तल्हा के रूप में हुई। इस मुठभेड़ में दो सैनिक भी घायल हुए।
मुठभेड़ ख़त्म होने के बाद इस बहादुर कुत्ते को सेना के पशु चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां उसके पैर में प्लास्टर करके इलाज शुरू किया गया। भारतीय सेना की चिनार कोर के अनुसार जूम एक फोर्स असॉल्ट है जो हमला करने के लिए जाना जाता है। इसे सेना का आदेश मानने और क्रूर होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। भारतीय सेना के पास इस तरह के करीब 260 बहादुर कुत्ते हैं, जिन्हें आतंकवादियों को खोजने और उन पर हमला करने के लिए महीनों तक मेरठ के सेंटर में प्रशिक्षित किया गया है। सेना के असॉल्ट डॉग जूम ने अपनी बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला करते हुए जांबाज सैनिक की तरह शहादत दे दी।
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