ठंड से फिर ठिठुरा प्रदेश, 46 जिलों में पारा 10 डिग्री से नीचे, मौसम विभाग ने कही ये बात

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भोपालः बारिश थमने के बाद मध्य प्रदेश में एक बार फिर कड़ाके की ठंड का दौर आ गया है। राजधानी भोपाल में गुरुवार सुबह कड़ाके की ठंड पड़ी। ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर में न्यूनतम तापमान भी 10 डिग्री से नीचे आ गया है। मध्य प्रदेश के 46 जिलों में बुधवार रात न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम रिकॉर्ड किया गया। रायसेन, शाजापुर समेत कई जगहों पर आज सुबह फसलों और पौधों पर ओस जमी. पचमढ़ी 2 डिग्री तापमान के साथ प्रदेश में सबसे ठंडा रहा।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के बाद वहां से बर्फीली हवाएं मैदानी इलाकों की ओर आ रही हैं. अगले तीन-चार दिनों तक आसमान साफ ​​रहने की संभावना है, ऐसे में ठंड भी बढ़ सकती है। पचमढ़ी बुधवार की रात प्रदेश में सबसे ठंडा रहा। यहां का तापमान 2.0 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद न्यूनतम तापमान उमरिया में 4.4, रायसेन में 5.0 और राजगढ़ में 5.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

राजधानी भोपाल में बुधवार को दिन का तापमान 22.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। फरवरी का पहला दिन 13 साल में सबसे ठंडा रहा। शहर में रात में भी ठंड बढ़ गई है। पिछले 24 घंटे में रात के तापमान में 1.6 डिग्री की गिरावट आई है। बुधवार को सुबह से रात तक शहर में सर्द हवा चली। ठंड के कारण रात में भी पारा तेजी से लुढ़का। वहीं, इंदौर में भी बुधवार को छह से 20 किमी की रफ्तार से चली हवा ने दिन का तापमान 23.4 डिग्री पर पहुंचा दिया। यह सामान्य से 4 डिग्री कम रहा। रात का तापमान 8.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।

मौसम विभाग के अनुसार फरवरी के दूसरे और तीसरे सप्ताह में ग्वालियर-चंबल संभाग में हल्की से मध्यम बारिश का पूर्वानुमान है। साथ ही भिंड, मुरैना, दतिया और शिवपुरी का न्यूनतम तापमान सामान्य के आसपास रहने का अनुमान है। ग्वालियर, श्योपुर का रात का पारा सामान्य से कम रह सकता है। इसी तरह मुरैना, भिंड, दतिया और शिवपुरी का दिन का पारा सामान्य रहेगा। ग्वालियर में सामान्य से थोड़ कम रह सकता है।

नहीं होगा नए सिस्टम का असर

मौसम विभाग ने बताया कि, वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ 15 डिग्री उत्तर अक्षांश के उत्तर में 65 डिग्री देशांतर के सहारे मध्य क्षोभमंडल की पश्चि से पूरब चलने वाली हवाओं के बीच एक ट्रफ के रूप में समुद्र तल से 5.8 किमी की ऊंचाई पर धुरी बनाते हुए सक्रिय है। साथ ही प्रेरित चक्रवातीय परिसंचरण दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान के ऊपर समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई तक सक्रिय है। 2 फरवरी से अगले पश्चिमी विक्षोभ के प्रभावी होने की संभावना बनी हुई है। हालांकि, इसका मध्यप्रदेश में असर नहीं रहेगा।

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