मुंबईः मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार ने आंदोलनकारियों की सभी मांगें मान ली हैं। जिसके बाद शनिवार तड़के ही आंदोलन खत्म हो गया। शिव संगठन नेता मनोज जरांगे -पाटिल (Manoj Jarange) और सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने आधी रात के आसपास विस्तृत चर्चा की जो सफल रही।
बाद में सरकार ने एक आधिकारिक अधिसूचना (सरकारी संकल्प) जारी की, जिसकी एक प्रति सुबह करीब 5 बजे जरांगे-पाटिल (Manoj Jarange) को सौंपी गई। इसके बाद उन्होंने अपनी टीम से सलाह ली और आंदोलन खत्म करने का फैसला किया। मनोज जरांगे ने सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में अनशन तोड़ा।
बता दें कि रात भर चले ऑपरेशन में शामिल लोगों में मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और दीपक केसरकर, सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे, औरंगाबाद डिवीजनल कमिश्नर मधुकर अरंगल और सीएम के निजी सचिव डॉ. अमोल शिंदे जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
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नवी मुंबई में एकत्र हुए लाखों मराठों ने सुबह ढोल बजाकर, नाच-गाकर 6 महीने लंबे अभियान की सफलता का जश्न मनाना शुरू कर दिया। मराठा नेताओं ने घोषणा की है कि वे योजना के मुताबिक मुंबई में प्रवेश नहीं करेंगे और राज्य भर से यहां आये लाखों लोग आज विजय रैली के बाद घर लौटना शुरू कर देंगे।
इन मुद्दों पर बनी बात
बता दें कि मनोज जरांगे पाटिल की मांगों में सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र, किंडरगार्टन से स्नातकोत्तर स्तर तक मुफ्त शिक्षा और सरकारी नौकरी की भर्तियों में मराठों के लिए सीटें आरक्षित करना शामिल था। उन्होंने कहा कि अब तक 37 लाख कुनबी प्रमाणपत्र दिये जा चुके हैं और यह संख्या 50 लाख तक जायेगी। कुनबी का मतलब अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) है।
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