Makar Sankranti 2025: स्नान-दान का पर्व मकर संक्रांति मंगलवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा तथा प्रयागराज के विश्व प्रसिद्ध कुंभ स्नान का पावन क्रम शुरू होगा। वहीं तीन साल बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति का संयोग बन रहा है। मकर संक्रांति पर इस बार पूरे दिन (16 घंटे ) पुण्य काल के साथ बुधादित्य राजयोग का विशेष संयोग बन रहा है। ऐसे विशेष संयोग में सनातनी अलसुबह से पूरे दिन तक पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाएंगे।
Makar Sankranti 2025: 16 घंटे का रहेगा पुण्य काल
ज्योतिषाचार्य कर्मकांडी रवींद्र तिवारी के अनुसार स्नान पर्व पर भगवान भास्कर सुबह 08:55 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पुण्य काल सुबह 09:3 बजे से शुरू होकर शाम 5:55 बजे तक रहेगा। महापुण्यकाल सुबह 9:03 बजे से 10:52 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा। शाम से ही शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर्व से ही भगवान भास्कर दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे।
मकर संक्रांति पर बन रहा अद्भूत संयोग
इस बार मकर संक्रांति भौम पुष्य नक्षत्र के साथ स्थिर योग के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। इस बार पर्व पर कई संयोग बन रहे हैं। मकर संक्रांति पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व है। सनातन में मान्यता है कि मकर संक्रांति पर्व पर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करने से जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है। दान और पुण्य का सौ गुना पुण्य फल मिलता है।
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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। इसलिए इस पर्व को पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जोड़कर देखा जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार मकर संक्रांति को भगवान विष्णु की राक्षसों पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने धरती पर राक्षसों का वध किया था और उनके सिर काटकर मंदार पर्वत पर दफना दिए थे। तभी से भगवान विष्णु की इस विजय को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।