Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्मा गांधी अपने निडर, निःस्वार्थ और शांतिपूर्ण दर्शन के साथ-साथ सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन लाने के अपने प्रयासों के लिए महात्मा (महान आत्मा) के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्हें एक संत, राजनेता, क्रांतिकारी, लेखक, समाज सुधारक और कई अन्य रूपों में सम्मानित किया जाता है। गांधी, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की, दुनिया भर में अहिंसक नागरिक अधिकारों और सामाजिक सुधार संगठनों के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य किए। उन्होंने अपना जीवन सत्य की खोज में जिया। उनके विचारों ने नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए वैश्विक अभियानों को गति दी।
महात्मा गांधी के विचार आज भी दुनिया में प्रासंगिक
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi ) के विचार और दर्शन न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में आज भी प्रासंगिक हैं। 15 दिसंबर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया गया, जो उनके सिद्धांतों की निरंतर याद दिलाती रहेगी। गांधीवादी विचारधारा ने ऐतिहासिक रूप से शैक्षणिक, बौद्धिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर ध्यान आकर्षित किया है। उनके प्रकाशन सत्य के साथ मेरे प्रयोग और हिंद स्वराज उनके गहन विचारों को दर्शाते हैं। गांधी सत्य और अहिंसा को अपने जीवन के मूलभूत सिद्धांत मानते थे। वे अपने सिद्धांतों और संघर्ष के अहिंसक तरीके को अपनाने में कई व्यक्तित्वों से प्रभावित थे, जिसने उन्हें शांति और अहिंसा का प्रतीक बना दिया।
आज की दुनिया आतंकवाद, युद्ध और हिंसा की चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में गांधी का अहिंसा दर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। गांधी के सिद्धांतों का उपयोग मानवाधिकारों, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और अन्य वैश्विक चिंताओं को हल करने में किया जा सकता है। सत्याग्रह, जिसका अर्थ है सत्य के लिए संघर्ष, गांधी की विचारधारा का एक महत्वपूर्ण घटक था। सत्याग्रह आज भी हिंसा का सहारा लिए बिना अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रभावी माध्यम हो सकता है।
गांधी का स्वदेशी का सिद्धांत भी आज के समय में उतना ही प्रासंगिक है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों में भी उनके विचारों की झलक मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किया गया आत्मनिर्भर भारत अभियान गांधी के स्वदेशी दर्शन की पुनर्व्याख्या है। इसी प्रकार, विकेंद्रीकरण और स्थानीय शासन को अधिक सशक्त बनाने की गांधीवादी अवधारणा 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से साकार हुई।
गांधी जी का सपना एक ऐसे समाज का था जहां
जातिवाद के उन्मूलन और सामाजिक समरसता की दिशा में भी गांधी के प्रयास महत्वपूर्ण थे। उन्होंने निम्न जातियों के लोगों के लिए हरिजन शब्द का उपयोग किया और छुआछूत के खिलाफ आंदोलन चलाया। गांधी का सपना एक ऐसे समाज का था जहाँ कोई भूख, बेरोजगारी, गरीबी न हो और सभी को समान अवसर मिलें। उनका समाजवाद राजनीतिक से अधिक सामाजिक था। उनके विचारों का प्रभाव सर्व शिक्षा अभियान, आयुष्मान भारत, कौशल भारत और स्वच्छ भारत अभियान जैसी सरकारी योजनाओं में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
गांधी ने स्वच्छता पर विशेष जोर दिया था। आज का स्वच्छ भारत अभियान उनके उसी सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है। साथ ही, उन्होंने मानव लालच को पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था। उनके अनुसार, पृथ्वी पर मानव की जरूरतों के लिए बहुत कुछ है, लेकिन लालच के लिए नहीं। आज ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी जैसे संकटों के समाधान के लिए उनके विचारों को अपनाने की आवश्यकता है।
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महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में गांधी जी की अहम भूमिका
महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए 2012 में नई दिल्ली में महात्मा गांधी शिक्षा संस्थान की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य शांति, सतत विकास और वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देना है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी गांधीजी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी, और यह विचार आज भी समान रूप से प्रासंगिक है।
इतने वर्षों के बाद भी, गांधीजी के विचार भारत और पूरी दुनिया को प्रेरित करते हैं। उनकी राजनीतिक उपलब्धियों ने हमें स्वतंत्रता दिलाई, लेकिन उनकी विचारधारा आज भी एक खुशहाल, शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाज के निर्माण में योगदान दे सकती है। प्रत्येक व्यक्ति को गांधीवादी विचारधारा को अपनाकर एक बेहतर समाज की स्थापना के लिए कार्य करना चाहिए।
(रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान)