Loksabha election 2024, लखनऊः 18वीं लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को ब्रज और रोहिलखंड की 10 सीटों पर वोटिंग होगी। इसमें एक सीट सूफी-संतों, औलियाओं और पीरों की धरती बदायूँ के लिए है। इस सीट पर पिछले चार दशकों में हुए 12 चुनावों में कोई भी विजेता कुल वोटों के 50 फीसदी के जादुई आंकड़े को नहीं छू सका है। गौरतलब है कि अब तक बदायूं से दिल्ली तक का सफर तय करने वाले सिर्फ दो सांसद ही चुनावी पिच पर '50' का स्कोर बना सके हैं।
ओमकार सिंह को 68.05 फीसदी वोट मिले
1977 में बदायूँ संसदीय सीट पर हुए आम चुनाव में भारतीय लोकदल के प्रत्याशी ओमकार सिंह को 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। इस चुनाव में 3 उम्मीदवार मैदान में थे। कुल 340263 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। ओंकार सिंह ने 68.05 फीसदी वोट पाकर कुर्सी पर कब्जा जमाया। कांग्रेस प्रत्याशी मलिक मोहम्मद मुशीर 24.47 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। ओंकार सिंह से पहले 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के बदन सिंह ने 50 फीसदी का आंकड़ा छुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 54.21 फीसदी वोट मिले थे।
1977 के बाद किसी ने भी 50 फीसदी का आंकड़ा नहीं छुआ
ओमकार सिंह के बाद, 1977 में छठी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में बदायूँ से किसी भी विजेता ने 50 प्रतिशत का आंकड़ा नहीं छुआ। 1980 के आम चुनाव में यह सीट कांग्रेस (आई) के मोहम्मद असरार अहमद ने 38.28 प्रतिशत वोट हासिल करके जीती। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के इकबाल शेरवानी 44.59 फीसदी वोटों के साथ विजेता बने। 1989 के आम चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार शरद यादव ने यहां से जीत हासिल की। शरद यादव को 47.00 फीसदी वोट मिले।
1991 में पहली बार कमल खिला
1991 में 10वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार स्वामी चिन्मयानंद ने पहली बार इस सीट से जीत हासिल की। स्वामी चिन्मयानंद को 36.08 फीसदी वोट मिले। जनता दल के शरद यादव 32.61 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
सलीम शेरवानी ने पहली बार साइकिल चलाई
1996 के आम चुनाव में सलीम शेरवानी ने पहली बार बदायूं सीट पर सपा की साइकिल चलाई। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी को 37.51 फीसदी वोट मिले। बसपा प्रत्याशी बृजलाल 28.95 प्रतिशत वोट पाकर उपविजेता रहे। 1998, 99 और 2004 के चुनाव में सलीम शेरवानी ने इस सीट पर सपा का कब्जा बरकरार रखा। सलीम शेरवानी को 1998 में 41.83 फीसदी, 1999 में 39.15 फीसदी और 2004 के चुनाव में 45.03 फीसदी वोट मिले थे। लगातार चार बार जीत हासिल करने के बावजूद सलीम शेरवानी 50 फीसदी वोटों का जादुई आंकड़ा छूने में नाकाम रहे।
धर्मेंद्र को 48.50 फीसदी वोट मिले
2009 के आम चुनाव में सपा ने इस सीट से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा। धर्मेंद्र सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भतीजे हैं। धर्मेंद्र यादव ने 31.70 फीसदी वोट हासिल कर सपा की जीत का सिलसिला जारी रखा। दूसरे नंबर पर रहे बसपा के डीपी यादव को 27.29 फीसदी वोट मिले। 2014 के आम चुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव ने 48.50 फीसदी वोट पाकर कुर्सी पर कब्जा किया था। बीजेपी प्रत्याशी वागीश पाठक 32.31 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
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2019 में बीजेपी ने 47.28 फीसदी वोट पाकर जीत हासिल की
पिछले आम चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी डॉ. संघप्रिय गौतम ने यहां जीत का परचम लहराया था। बीजेपी उम्मीदवार को 47.28 फीसदी वोट मिले। सपा के धर्मेंद्र यादव 45.58 फीसदी वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के सलीम शेरवानी 4.8 फीसदी वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
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