लखनऊ: राज्य की कुछ सीटों ने राजनीतिक दलों को असमंजस में डाल दिया है। इसमें रायबरेली, अमेठी, कन्नौज और कैसरगंज शामिल हैं। कांग्रेस ने अभी तक रायबरेली और अमेठी में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बीजेपी की स्मृति ईरानी अमेठी में ताल ठोक रही हैं तो वहीं, रायबरेली से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर वरुण गांधी के आने की चर्चा तेज हो गई है। भाजपा को सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी का इंतजार है। उधर, सपा एक बार फिर कन्नौज सीट से अपना उम्मीदवार बदलने जा रही है। अब तेज प्रताप की जगह अखिलेश यादव खुद वहां से ताल ठोकेंगे।
अखिलेश के बयान से तेज हुई चर्चा
कैसरगंज से मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह प्रचार में जुटे हैं, लेकिन बीजेपी ने अभी तक वहां से अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इससे पहले भी बृजभूषण कह रहे हैं कि उम्मीदवार कोई भी हो, वह यहां से पांच लाख वोटों से जीतेंगे। वहीं, कन्नौज में सपा का सिरदर्द बढ़ता जा रहा है। पहले वहां से तेज प्रताप को टिकट दिया गया था। अब वहां के स्थानीय नेता अखिलेश यादव से वहां से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं। इस पर अखिलेश यादव ने मंगलवार को जो बयान दिया था, स्थानीय कार्यकर्ता जो चाहेंगे वही होगा। राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है।
पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया का चुनाव लड़ने की कोई योजना नहीं थी, लेकिन मंगलवार को दिए गए बयान ने चर्चा तेज कर दी है। हालांकि, अभी तक एसपी ने आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की है। इधर यह भी चर्चा है कि सपा को लालू यादव के दामाद तेज प्रताप की नाराजगी का डर है। उन्हें कहीं न कहीं एसपी को समायोजित करने पर विचार करना होगा। इससे पहले भी सपा इस चुनाव में दस से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार बदल चुकी है। कई जगहों पर तो दो-दो बार उम्मीदवार बदले गए।
कांग्रेस भी असमंजस में
वहीं, बीजेपी के लिए कैसरगंज सीट पर उम्मीदवार तय करना मुश्किल हो रहा है। बीजेपी अभी तक वहां अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। एक तरफ वहां से मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ढोल पीट रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके उम्मीदवार होने को लेकर कार्यकर्ताओं में अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
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रायबरेली में किसी भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। वहां सभी को कांग्रेस प्रत्याशी का इंतजार है। हालांकि, वरुण गांधी के वहां से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि अगर वहां से चुनाव लड़ा गया तो मेनका गांधी और वरुण का निर्वाचन क्षेत्र भी पास-पास होगा और इसका बीजेपी के लिए स्मृति ईरानी के निर्वाचन क्षेत्र पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।