Lok Sabha Elections: जब कांग्रेस का ये किला नहीं भेद पाए थे डॉ. राम मनोहर लोहिया

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Lucknow : चंदौली संसदीय सीट कभी कांग्रेस का मजबूत किला मानी जाती थी। ये बात ऐसे समझी जा सकती है कि समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया भी उस किले को भेद नहीं सके थे। 1957 में जब डॉ. लोहिया चंदौली से चुनाव लड़े तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि इस सीट पर अब तक 7 बार समाजवादी नेता जीत चुके हैं।

त्रिभुवन और लोहिया के बीच मुकाबला

दूसरी लोकसभा के गठन के लिए 1957 में हुए आम चुनाव में त्रिभुवन नारायण सिंह चंदौली सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उनका मुकाबला समाजवादी नेता और निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. राम मनोहर लोहिया से था। भले ही डॉ. लोहिया ने किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं था। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी त्रिभुवन नारायण को 134488 (57.87 फीसदी) वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे डॉ. राम मनोहर लोहिया को 97911 (42.13 फीसदी) वोट मिले। त्रिभुवन नारायण 36,577 वोटों से जीते। इस चुनाव में केवल दो उम्मीदवार मैदान में थे।

2 लाख 32 हजार 399 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चुनाव में 57.88 फीसदी वोटिंग हुई। गौरतलब है कि 1959 में हुए उपचुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के प्रभु नारायण सिंह ने कांग्रेस के जे.एन. दुबे को हराकर जीत हासिल की थी।

1962 में डॉ. लोहिया फूलपुर से हार गये

1962 में हुए तीसरे लोकसभा के चुनाव में डॉ. राम मनोहर लोहिया ने फूलपुर संसदीय सीट से अपनी किस्मत आजमाई। चुनाव में उनका मुकाबला प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से था। चुनाव में डॉ. लोहिया को हार का सामना करना पड़ा।

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1963 में फर्रुखाबाद उपचुनाव में डॉ. लोहिया जीते

1962 में फूलपुर सीट से हार के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया ने वर्ष 1963 में केवल दो बैठकें कर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर फर्रुखाबाद उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज की। मार्च 1967 में वे दोबारा निर्वाचित हुए। उत्तर प्रदेश के कन्नौज संसदीय क्षेत्र से चौथी लोकसभा के लिए।

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