लखनऊः लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक मंच से राम नवमी पर होने वाले संभावित दंगे की आशंका ने चुनाव आयोग की पेशानी पर बल पैदा कर दिया है। पश्चिम बंगाल में जनता की सुरक्षा और शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव सम्पन्न कराने को लेकर चुनाव आयोग सतर्क हो गया है। चुनाव आयोग के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 100 और कंपनियां तैनात करने का निर्णय लिया है। वहीं चुनाव आयोग के निर्देश पर गृह मंत्रालय द्वारा सीआरपीएफ की 55 कंपनियां और सीमा सुरक्षा बलों की 45 कंपनियां पहले से ही तैनात की जा रही हैं। इसी कड़ी में अब 15 अप्रैल या उससे पहले सीएपीएफ की अतिरिक्त 100 कंपनियों की तैनाती का काम पश्चिम बंगाल में पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
राम नवमी पर संभावित दंगे की आशंका
06 अप्रैल को ममता बनर्जी ने अपने चुनावी अभिभाषण के दौरान लोकसभा चुनाव के बीच बीजेपी पर दंगा भड़काने की योजना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोग बहकावे में न आएं, बीजेपी रामनवमी के मौके पर 17 अप्रैल को सांप्रदायिक दंगे करा सकती है। इस पार्टी के लोग रामनवमी पर सांप्रदायिक भावनाएं अवश्यक भड़काएंगे। ममता ने रैली में कहा कि भाजपा से एक बात कहूंगी-रैलियां आयोजित करें, लेकिन दंगे नहीं कराएं। उन्होंने आशंका जाहिक करते हुए कहा कि 19 अप्रैल को मतदान होगा और वे 17 अप्रैल को दंगे करेंगे। भगवान राम ने आपको दंगे भड़काने के लिए नहीं कहा है, लेकिन वे ऐसा करेंगे और फिर एनआईए को लाएंगे। ममता बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसियां तृणमूल कांग्रेस नेताओं से या तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने या कार्रवाई का सामना करने के लिए कह रही हैं। पुरुलिया जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और आयकर (आईटी) विभाग जैसी एजेंसियां भाजपा के हथियार के रूप में काम कर रही हैं। टीएमसी नेताओं को परेशान करने के लिए एनआईए, ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों से जुड़े लोग बिना किसी पूर्व सूचना के छापेमारी कर रहे हैं और घरों में घुस रहे हैं। जब रात में सभी लोग सो रहे हों और कोई उनके घर में घुस जाए तो महिलाएं क्या करेंगी। इससे पूर्व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ एक बार फिर से बंगाल में केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा भी उठाया था। इस मामले में डेरेक ओ ब्रायन, डोला सेन, साकेत गोखले और सागरिका घोष सहित टीएमसी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात की। टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान मांग की कि सीबीआई, एनआईए, ईडी और आयकर विभाग के प्रमुखों को बदला जाए। मालूम हो कि टीएमसी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं।
गृह मंत्रालय ने दिखाई तत्परता
दूसरी तरफ, केंद्रीय जांच एजेंसियों पर होने वाले हमलों के साथ ही साथ राम नवमी व अन्य अवसरों पर पश्चिम बंगाल में होने वाले दंगों में सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं। भाजपा सांसद व प्रत्याशी दिलीप घोष से लेकर शंकुदेव पांडा तक ने सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारियों और समर्थकों पर विभिन्न हमलों और दंगों में शामिल होने के आरोप लगाये हैं। भाजपा तो यहां तक कह रही है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी इस हमले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, क्योंकि वह केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ लगातार अपने समर्थकों व नेताओं को भड़का रही हैं। भाजपा ने कहा कि कभी बीएसएफ को गांवों में नहीं घुसने देने की बात कहती हैं, तो कभी अपनी महिला समर्थकों को हाथ में बेलन व झाड़ू लेकर प्रतिरोध करने की बात कहती हैं। बीएसएफ पर हत्या और महिलाओं से दुर्व्यवहार का आरोप तो तृणमूल के नेता, मंत्री, विधायक लगातार लगाते ही रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि सारधा चिटफंड, नारद स्टिंग हो या कोयला व पशु तस्करी या फिर शिक्षक भर्ती से लेकर राशन घोटाला या फिर रामनवमी के जुलूस पर हमले का या फिर बम विस्फोट पहले तो तृणमूल और ममता सरकार हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केंद्रीय एजेंसी की जांच रोकने के लिए लड़ती आ रही है और अब देखा जा रहा है कि कोर्ट के निर्देश पर जांच हो रही है तो हमले कराए जा रहे हैं। इन घटनाओं की वजह से कहीं न कहीं पश्चिम बंगाल का मतदाता खुद को असहज महसूस कर रहा है। इसीलिए चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय को वहां सीएपीएफ की 100 अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने का निर्देश दिया है।
जांच एजेंसियों व सुरक्षा बलों पर पहले भी हो चुके हैं हमले
तीन माह पूर्व 05 जनवरी को संदेशखाली में राशन घोटाले के आरोपित तृणमूल नेता (अब निलंबित) शाहजहां शेख के घर पर छापेमारी के लिए केंद्रीय बल के साथ पहुंची ईडी की टीम पर हमला किया गया था, अब पूर्व मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर में 2022 में हुए बम विस्फोट के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर जांच कर रही एनआईए की टीम पर हमला हुआ है, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी के दो अधिकारी मामूली रूप से घायल हो गए और उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ की गई। एनआईए की टीम के साथ गए केंद्रीय बलों को भी बाधाओं का सामना करना पड़ा। बंगाल में केंद्रीय एजेंसी पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। बांग्लादेश की सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर कई बार हमले हो चुके हैं। कभी तस्करों व अपराधियों की ओर से, तो कभी उन्हें बचाने के लिए स्थानीय लोगों की ओर से, हमले होते रहे हैं। परंतु, ईडी और एनआईए जैसी देश की उत्कृष्ट जांच एजेंसियों पर ही केंद्रीय बल की मौजूदगी में हमले होंगे, यह तीन माह के भीतर हने वाली दूसरी बड़ी घटना है। इसके पहले भी जब संदेशखाली में ईडी अधिकारियों पर हमले हुए थे, तो ममता बनर्जी ने शाहजहां शेख का बचाव किया था। उसी तरह से 06 अप्रैल को जब एनआईए अधिकारियों पर हमले हुए तो ममता बनर्जी ने फिर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि, क्या आपने पुलिस को सूचना दी? वे आधी रात को पुलिस को सूचित क्यों नहीं करते हैं? यही नहीं सीबीआई ने नारद स्टिंग मामले में 2021 में जब मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और विधायक मदन मित्रा को गिरफ्तार किया था, तो वह सीबीआई दफ्तर निजाम पैलेस पहुंच गई थीं। इसी तरह से वर्ष 2016 में, सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रहे ईडी के एक अधिकारी के साथ हुगली जिले में कथित तौर मारपीट की गई थी।
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केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ ममता बनर्जी का रुख शुरुआत से ही काफी उग्र रहा है। इसी वजह से उन्होंने बिना पुलिस को सूचना दिए छापेमारी करने संबंधी सवाल उठाकर जांच एजेंसी को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। इसके पहले फरवरी 2019 में सारधा चिटफंड मामले में तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए सीबीआई की टीम उनके आवास पर पहुंची थी, तो खुद ममता राजीव कुमार के आवास के पास पहुंच गई थी। बाद में वह सीबीआई के खिलाफ कोलकाता के धर्मतला मेट्रो स्टेशन के पास धरने पर बैठ गयी थीं।
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