महोबा: महोबा जिले की जैतपुर पंचायत, जो उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड की सबसे अधिक आबादी वाली पंचायतों में से एक है, को यहां के लोग लंबे समय से नगर पंचायत बनाने की मांग कर रहे थे। पूर्व घोषणा के बावजूद अब तक नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल सका है। चुनाव आते ही एक बार फिर नगर पंचायत की मांग उठने लगी है।
पहले भी भेज गया था प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के महोबा जिले को 1995 में हमीरपुर जिले से अलग करके बनाया गया था। नया जिला बनने के साथ ही जिले में जैतपुर ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाने की मांग ग्रामीणों ने उठानी शुरू कर दी। ग्रामीणों की मांग को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार कर नगर पंचायत विकास मंत्रालय को भेजा था, लेकिन आज तक कुछ नहीं हो सका। पहले भी सरकार ने घोषणा की थी लेकिन नगर पंचायत को लेकर धरातल पर कोई काम या सार्थक प्रयास नहीं हुआ, नतीजा जैतपुर को नगर पंचायत बनाने का सपना अब तक साकार नहीं हो सका है।
ग्रामीण कपिल प्रजापति, रज्जू रायकवार, नरेश सोनी, किरन पाठक आदि का कहना है कि यहां के जन प्रतिनिधियों की उदासीनता अथवा उनकी कमजोर पैरवी के कारण जैतपुर को अब तक नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल सका है। यहां ट्रैफिक जाम दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि बाजार में व्यापारियों ने दुकानों के बाहर फुटपाथ पर कब्जा कर लिया है। यहां बाईपास न होने के कारण वाहन कॉलोनी से होकर गुजरते हैं, जिससे आए दिन जाम लगता है। साप्ताहिक बाजार के दिन ग्रामीण क्षेत्रों से लोग बाजार करने आते हैं, इस दिन जाम अधिक होता है। बाइपास से जाम की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
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घोषणा तो हुई लेकिन दर्जा नहीं दिया गया
ग्रामीण सुभाष राजपूत का कहना है कि जैतपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिल जाए तो यहां के संसाधन बढ़ जाएंगे। जिससे यहां की व्यवस्थाएं बेहतर होंगी। इसके साथ ही अगर जैतपुर को नगर पंचायत का दर्जा मिल जाता है तो हाइड्रोलिक मशीन, जेसीबी मशीन, ट्रैक्टर टैंकर आदि संसाधनों में बढ़ोतरी से स्थानीय लोगों को लाभ मिल सकेगा।
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