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Krishna Chatti 2023: धूमधाम से मनाई गयी लड्डू गोपाल की छठी, भंडारे में उमड़े हजारों श्रद्धालु

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Krishna Chatti 2023: लखनऊः जन्माष्टमी महापर्व से ठीक छह दिन बाद भक्त भगवान श्रीकृष्ण की छठी को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार जो भक्त विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण की छठी पूजा करता है और उन्हें भोग लगाता है, उस पर कान्हा की कृपा बरसती है और उसे पुण्यफल की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि कान्हा की कृपा से कृष्ण भक्त पूरे साल तमाम तरह की विपदाओं और कष्टों से बचा रहता है। इस साल सोमवार को भगवान श्रीकृष्ण की छठी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। जन्म के छठे दिन भक्तों ने विधि-विधान से लड्डू गोपाल को स्नान कराकर पीले रंग के वस्त्र, बांसुरी और आभषूण पहनाकर उनका श्रृंगार किया और माखन मिश्री का भोग लगाया।

श्री राधामाधव देवस्थानम् में धूमधाम से मनाई गयी लड्डू गोपाल की छठी

इसी तरह वसुप्रधा फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा माधव ग्रीन्स, गोमतीनगर में स्थापित श्री राधामाधव देवस्थानम् में भी छठी उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। श्री राधामाधव देवस्थानम् में लड्डू गोपाल की विधिपूर्वक आराधना की गयी। इस दौरान श्रद्धालु भगवान के भजन में लीन नजर आए। हर साल की तरह इस वर्ष भी श्री राधामाधव देवस्थानम् में कन्हैया की छठी के मौके पर भजन-कीर्तन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में भक्त लड्डू गोपाल के दर्शन के लिए पहुंचे और आनंदपूर्वक प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार, प्रदेश के स्टाम्प, न्यायालय शुल्क एवं पंजीकरण मंत्री रविंद्र जायसवाल समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए और लड्डू गोपाल का दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया।

इससे पूर्व श्री राधामाधव देवस्थानम् में 6 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्री राधामाधव देवस्थानम् में बाल गोपाल के जन्मोत्सव से लेकर छठी पर्व तक भव्य आयोजन की तैयारियां की गयी थी। मंदिर के ट्रस्टी लोकेन्द्र चतुर्वेदी (गुरूजी) के नेतृत्व में बाल गोपाल का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया।

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वहीं जन्माष्टमी महोत्सव की अध्यक्षता कर रहे मुख्य ट्रस्टी मथुरेश श्रीवास्तव भी नंद गोपाल की छठी पर्व में भाव-विभोर दिखे और लड्डू गोपाल को झूला झुलाया व आरती की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण कंस के कारागृह में प्रकट हुए थे, तो वहां पसरा अंधेरा छट गया था। उसी प्रकार जब भगवान इस जगत में हमारे हृदय तथा जीवन में प्रकट होते हैं, तब वह अज्ञानरूपी अंधकार नष्ट करके हमारे जीवन में उजाला, ज्ञान और आनंद को प्रसारित कर देते हैं।

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