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World Mental Heath Day 2022: देश में हर घंटे 18 लोग करते हैं खुदकुशी, इस तरह रखें मेंटल हेल्थ को दुरुस्त

नई दिल्लीः साल 2021 में देश में हर घंटे 18 और हर दिन लगभग 450 लोगाें ने अपनी मर्जी से मौत का रास्ता चुना, वहीं इसी साल भारत में अब तक सबसे ज्यादा 1.64 लाख आत्महत्या के मामले दर्ज किये गये। ये चौंकाने वाला आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो ने जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या करने वाले तनाव, हिंसा, अकेलेपन, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से परेशान थे। आज रोजी-रोटी और अकेलेपन की समस्या ने हर किसी को जकड़ रखा है और इस भागदौड़ में हम अक्सर अपने मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज करते हैं।

आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है और देश में बढ़ रहे खुदकुशी के मामलों पर गहनता से विचार किये जाने की जरूरत है। जिंदगी की तमाम समस्याएं और निराशावादी विचार हमारे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं और कहीं न कहीं ये नेगेटिव विचार भी आत्महत्या का एक बड़ा कारण है।

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर आइए जानें कि मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के कुछ जरूरी उपाय -

  • तनाव होने पर वो काम करें, जो आपको पसंद हो। जैसे - अपनी पसंदीदा म्यूजिक सुनें या किताब पढ़ें।
  • मेडिटेशन तनाव को दूर रखने में सहायक है, इसलिए अपनी दिनचर्या में ध्यान को शामिल करें।
  • प्रकृति को निहारें। प्रकृति ईश्वर की खूबसूरत देन है। नकारात्मक विचार आने पर आप थोड़ी देर पौधों व पक्षियों के बीच समय बिताएं।
  • बागवानी करें। बागवानी करने से आपके मन को अच्छा महसूस होगा।
  • नशा बिल्कुल न करें और पर्याप्त नींद लें।
  • ज्यादा तकलीफ होने पर तुरंत डाॅक्टर से परामर्श लें।
  • नकारात्मक विचार या तनाव होने पर आप अपने दिल की बात दोस्त या ऐसे शख्स से करें, जिस पर आपको भरोसा हो।

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क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे -

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रत्येक आठ में से एक व्यक्ति तनाव से जूझ रहा है। वल्र्ड फेडरेशन ऑफ मेंटल हेल्थ ने वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे मनाने की घोषणा की, जिसके बाद से हर साल 10 अक्टूबर को लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है। पहली बार ये दिवस 10 अक्टूबर 1992 को मनाया गया था।

हर साल नई थीम के साथ इस दिन को मनाया जाता है। इस साल की थीम, मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं है। इस दिन चिकित्सक व स्वास्थ्य से जुड़े संगठन तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जागरूक करते हैं, वहीं आत्महत्या के दुष्परिणामों के बारे में चर्चा कर उन्हें जिंदगी के प्रति आशांवित बनाया जाता है।

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