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सिखों के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है करतारपुर साहिब कॉरिडोर? जानें किन शर्तों पर हुआ था भारत-पाक समझौता

नई दिल्लीः गुरु नानक देवजी के 550वीं जयंती के देखते हुए सिख श्रद्धालुओं के लिए 611 दिन बाद करतारपुर कॉरिडोर बुधवार को खोल दिया गया है। इसी के साथ ही छह यात्रियों का पहला जत्‍था डेरा नानक से कारिडोर होकर पाकिस्‍तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के लिए रवाना हुआ। मिली जानकारी के मुताबिक पहले दिन कॉरीडोर से कुछ VIP और सरकारी अफसर करतारपुर साहिब के दर्शन करने जा रहे हैं।

वहीं जाने वाले अधिकारियों के लिए कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगी होने की शर्त रखी गई है। इसके साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। हालांकि आम श्रद्धालुओं को करतारपुर कॉरीडोर से दर्शन के लिए 8 से 10 दिन तक इंतजार करना होगा। वहीं गुरु श्री नानकदेव के प्रकाश पर्व के मौके पर इस कारिडोर को खोलना सिख श्रद्धालुओं के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है।

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16 मार्च 2020 को किया गया था बंद

बता दें कि कोरोना के कारण यह कॉरिडोर पिछले करीब 20 माह से बंद था और मंगलवार को केंद्र सरकार ने इसे 17 नवंबर से खोलने की घोषणा की थी। जिसके बाद बुधवार को खोल दिया गया। कोरोना के कारण 16 मार्च, 2020 को बंद किया गया था। दरअसल भारत और जीरो प्वाइंट, इंटरनेशनल बाउंड्री पर डेरा बाबा नानक में श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के संचालन के तौर-तरीकों पर पाकिस्तान के साथ 24 अक्तूबर 2019 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

इस दौरान विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ पंजाब सरकार के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। भारत के कई और प्रस्तावों पर ‘पाकिस्तान ने सैद्धांतिक रूप से सहमति’ दे दी है। ये कॉरिडोर पंजाब स्थित डेरा साहेब नानक को करतारपुर स्थित दरबार साहेब से जोड़ेगा। दोनों देशों के लोगों को इस यात्रा के लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी। इसके तहत भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित दरबार साहेब के दर्शन करने जा सकते हैं।

सिखों के लिए क्यों अहम है ये स्थान?

  • करतारपुर साहिब सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में शुमार है।
  • मान्यता है कि 4 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर
  • आए थे। उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी 18 साल यहीं गुजारे थे।
  • माना जाता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव की मृत्यु हुई थी, वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था।
  • कॉरिडोर खोले जाने से पहले गुरुद्वारे के दर्शन भारत के लोग दूरबीन से करते थे। ये काम बीएसएफ की निगरानी में होता है।
  • करतारपुर साहिब पाकिस्तान में आता है, लेकिन इसकी भारत से दूरी महज साढ़े चार किलोमीटर है।
  • करतारपुर साहिब, पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है। यह जगह भारतीय सीमा से महज 4.5 किमी। और लाहौर से करीब 120 किमी दूर है।
  • करतारपुर गुरुद्वारे के अंदर एक कुआं है, जो गुरुनानक देवजी के समय से है। साथ ही इस कुएं को लेकर श्रद्धालुओं में काफी मान्यता हैं। कहा जाता है सबसे पहले लंगर की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। नानक साहब के यहां जो भी आता था, वह उन्हें बिना खाए जाने नहीं देते थे।
  • श्रद्धालुओं की भावनाओं के देखते हुए भारतीय फौज ने यहां दर्शन स्थल बना दिया है, जिससे वह आसानी से दर्शन कर सकें।
  • सिख ही नहीं बताया जाता है करतारपुर के आसपास के गांव के मुसलमान गुरुद्वारे के लंगर के लिए चंदा देते हैं। कहते हैं कि जब गुरु नानक गुजर गए थे तो उनका पार्थिव शरीर गायब हो गया था। वहां पर कुछ फूल मिले थे, कुछ फूल सिख ले गए तो कुछ मुसलमान।
  • 9 नवंबर 2019 में इस कॉरिडोर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। खास बात है कि यहां से पाकिस्‍तान जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं पड़ती।

इन शर्तों पर हुआ था भारत-पाक समझौता

  • भारतीय विदेश मंत्रालय यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की सूची 10 दिन पहले पाकिस्तान को देगा।
  • हर श्रद्धालु को 20 डॉलर यानि करीब 1400 रुपये देने होंगे।
  • एक दिन में पांच हजार लोग इस कॉरिडोर के जरिए दर्शन के लिए जा सकेंगे।
  • कोई भी भारतीय किसी भी धर्म या मजहब को मानने वाला हो, उसे इस यात्रा के लिए वीजा की जरूरत नहीं होगी।
  • यात्रियों के लिए पासपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथराइजेशन (ईटीए) की जरूरत होगी।
  • पूर्व घोषित दिनों के अलावा ये कॉरिडोर पूरे साल खुला रहेगा।
  • तत्काल अस्थाई पुल का इस्तेमाल किया जा रहा है। आने वाले वक्त में एक स्थाई पुल बनाया जाएगा।
  • श्रद्धालुओं को इस यात्रा के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।
  • आवेदकों को मेल और मैसेज के जरिए चार दिन पहले उनके आवेदन के कंफर्मेशन की जानकारी दी जाएगी।

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