MUDA Case: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि घोटाला मामले में राज्यपाल द्वारा दिए गए अभियोजन आदेश पर सवाल उठाने वाली सीएम की रिट याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले को बरकरार रखते हुए आदेश पारित किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी देने के लिए राज्यपाल सक्षम हैं। आइए आपको बताते हैं कि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया MUDA घोटाले में क्यों फंसे हैं।
पांच हजार करोड़ रुपये का है MUDA घोटाला
जानकारी के मुताबिक मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) शहर के विकास कार्यों के लिए एक स्वायत्त निकाय है। भूमि अधिग्रहण और आवंटन का काम इसके जिम्मे है। भूमि घोटाले के कारण ही इसका नाम ‘MUDA’ रखा गया है। वर्ष 2004 से ही इस मामले से MUDA का नाम जुड़ा हुआ है। यह मामला उस समय मुडा द्वारा मुआवजे के तौर पर जमीन के टुकड़े आवंटित करने से जुड़ा है, जब सिद्धारमैया राज्य के सीएम थे।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि इस प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ। इस मामले में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग के अधिकारियों के नाम भी सामने आए थे। जानकारी के मुताबिक मुडा घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
क्यों MUDA घोटाले में फंसे सीएम सिद्धारमैया ?
बताया जा रहा है कि सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुनस्वामी ने कुछ जमीन तोहफे में दी थी। यह जमीन मैसूर जिले के कैसरे गांव में स्थित है। बाद में इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने अधिग्रहित कर लिया था। इसके बदले में पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट का प्लॉट दिया गया था। आरोप है कि दक्षिण मैसूर के प्रमुख इलाके विजयनगर में स्थित प्लॉट की कीमत कैसरे गांव में उनकी मूल जमीन से काफी ज्यादा है। इसके चलते सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं।
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सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश को हाईकोर्ट दी थी चुनौती
बता दें कि 19 अगस्त को सीएम सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राज्यपाल के आदेश को रद्द करने की अपील करते हुए उन्होंने याचिका में कहा था कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया और इसे वैधानिक नियमों का उल्लंघन बताया। हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है।
कर्नाटक के मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ अगस्त में राजभवन चलो विरोध प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने राज्यपाल थावरचंद पर भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल के समक्ष कई अन्य मामले भी लंबित हैं, लेकिन उन्होंने उन पर कोई फैसला नहीं लिया है।