लखनऊः UP Madarsa Board पर सूप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बोर्ड से जुड़े लोगों और समुदाय में खुशी है। राजनीतिक दलों में भाजपा इस मुद्दे पर बोलने से बच रही है, जबकि कांग्रेस ने फैसले का स्वागत किया है।
यूपी हज कमेटी के चेयरमैन बोले- सरकार की कोई भूमिका नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और यूपी हज कमेटी के चेयरमैन मोहसिन रजा ने कहा है कि इस पूरे प्रकरण में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। जहां तक कोर्ट के फैसले की बात है तो हम संविधान को मानने वाले लोग हैं। हमारी सरकार संविधान के मुताबिक चलती है। हम कोर्ट के दिए गए निर्देशों का पालन करते हैं। मोहसिन रजा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार सबका साथ सबका विकास के आधार पर काम कर रही है। प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण का काम किया। बच्चों को लैपटॉप दिए गए। वहां सुविधाएं बढ़ाई गईं। हमारी सरकार चाहती है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, पीसीएस बनें। पढ़कर एक अच्छे इंसान बनें। यही वजह है कि उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने के लिए आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा रहा है।
कांग्रेस ने कहा- जनहित में लिया गया फैसला
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट में भाजपा सरकार की मनमानी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किया जाना और कोर्ट का फैसला जनहित में है। हम इसका स्वागत करते हैं। भाजपा सरकार को उसकी जनविरोधी मानसिकता के कारण सुप्रीम कोर्ट से बार-बार फटकार मिलती है, लेकिन फिर भी वह सबक नहीं लेती। कभी 69000 शिक्षक भर्ती मामले में कोर्ट फटकार लगाता है तो कभी बुलडोजर चलाने के मामले में। स्कूलों को बंद करने की मंशा रखने वाले शिक्षा विरोधी लोग सबक नहीं सीखते। मदरसों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला स्वागत योग्य है।
मायावती ने भी किया स्वागत
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट-2004 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। मायावती ने उम्मीद जताई है कि इस फैसले से मदरसा शिक्षा को लेकर विवाद और हजारों मदरसों की अनिश्चितता खत्म हो जाएगी।
मायावती ने मंगलवार को एक पोस्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम-2004 को वैध और संवैधानिक घोषित करने का फैसला स्वागत योग्य है। इससे प्रदेश में मदरसा शिक्षा को लेकर विवाद और हजारों मदरसों की अनिश्चितता खत्म होने की संभावना है। इसका उचित क्रियान्वयन जरूरी है।
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उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी है। कोर्ट ने कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह आदेश देकर गलती की कि मूल ढांचे यानी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होने के कारण यूपी मदरसा शिक्षा अधिनियम को खारिज करना होगा।
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