Kargil Vijay Diwas: भारतीय सेना ने आज लिखी थी विजय गाथा

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Kargil Vijay Diwas, जम्मूः कारगिल विजय दिवस भारत के सैन्य इतिहास का एक गौरवशाली दिन है। कारगिल वह क्षेत्र है, जहां भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने युद्ध करके पड़ोसी देश के कब्जे से कारगिल द्रास क्षेत्र को आजाद कराया था। इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ विजय गाथा लिखी थी। भारत-पाकिस्तान के इस सैन्य युद्ध को इतिहास में जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करता है। कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को मनाया जाता है।

धोखे से चोटियों पर किया था कब्जा

कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक लड़ा गया था। इस युद्ध में 527 भारतीय सैनिक बलिदान हुए और 1363 सैनिक घायल हुए। ये 527 सैनिक नहीं बल्कि बहादुरी की 527 कहानियां हैं, कैसे हर सैनिक ने अपने खून की आखिरी बूंद बहने तक मोर्चा नहीं छोड़ा और शहादत प्राप्त की। उनकी बहादुरी की ये कहानियां हमें गौरवान्वित महसूस कराती हैं। आपको बता दें कि वर्ष 1999 की शुरुआत में पाकिस्तानी सैनिकों ने चोरी-छिपे नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया। हालांकि, खुफिया तंत्र समय रहते इसकी जानकारी नहीं जुटा पाया और जब तक भारतीय सेना को इस घुसपैठ का पता चला, तब तक आतंकियों के वेश में पाकिस्तानी सेना के जवान हथियारों के साथ खुद को अच्छी स्थिति में तैनात करने में कामयाब हो चुके थे। इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया।

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प्रतिकूल मौसम में भी दिखाया अद्म्य साहस

भारतीय सेना ने दुर्गम और प्रतिकूल मौसम के बावजूद साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया और धीरे-धीरे पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ना शुरू कर दिया। भारतीय वायुसेना ने भी ऑपरेशन सफेद सागर के तहत हवाई हमले कर अहम भूमिका निभाई। इस युद्ध का नेतृत्व तत्कालीन जनरल वीपी मलिक ने किया था। आज विजय की इसी गाथा को गाने और उन वीर शहीदों के बलिदान को याद करने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है, जिसमें पूरा देश उन शहीदों के बलिदान पर गर्व महसूस कर रहा है, जिनकी बदौलत आज हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं।

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