Kargil Vijay Diwas नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने कारगिल युद्ध में जीत के 25 साल पूरे होने पर सहारनपुर ( Saharanpur) के सरसावा स्टेशन पर ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ समारोह शुरू कर दिया है, जो 26 जुलाई तक चलेगा। सरसावा वायुसेना स्टेशन पर इस दौरान एयर शो में लड़ाकू विमान सुखोई, राफेल, जगुआर और एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर जैसे लड़ाकू विमानों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। एक तरफ वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने एक साथ उड़ान भरी, तो दूसरी तरफ लड़ाकू विमान आसमान को चीरते हुए ऊपर गए। साथ ही वायु योद्धाओं ने रस्सी के सहारे हेलिकॉप्टर से लटककर हवा में उड़ान भरी, जिसे देखने के बाद दर्शकों का उत्साह और बढ़ गया।
वायुसेना प्रमुख ने शहीदों को अर्पित की पुष्पांजलि
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों, बहादुरों के परिवारों, दिग्गजों और सेवारत भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ सरसावा स्टेशन के युद्ध स्मारक पर राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी वायु योद्धाओं को पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के दौरान वायुसेना प्रमुख ने उनके परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की। इस अवसर पर शानदार एयर शो भी हुआ, जिसमें आकाश गंगा टीम और जगुआर, सुखोई-30 एमकेआई और राफेल लड़ाकू विमानों ने हवाई प्रदर्शन किया।
वायुसेना बैंड ने सुनाई वीर सैनिकों की शौर्य गाथाएं
इसके अलावा कृत्रिम रूप से बनाई गई कारगिल की पहाड़ियों पर हवाई ग्रेनेड फेंके गए। सुखोई लड़ाकू विमानों की हवाई कलाबाजियां देख दर्शक अवाक रह गए। शहीद वीरों की याद में एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर ने ‘मिसिंग मैन फॉर्मेशन’ में उड़ान भरी। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर चीता और चिनूक का स्टेटिक प्रदर्शन भी किया गया।
इस अवसर पर एयर वॉरियर ड्रिल टीम और वायुसेना बैंड ने अपनी प्रस्तुतियों में मधुर स्वरों के बीच वीर सैनिकों की शौर्य गाथाएं सुनाईं। इस कार्यक्रम को स्कूली बच्चों, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासियों, पूर्व सैनिकों, गणमान्य व्यक्तियों और रुड़की, देहरादून और अंबाला से आए रक्षा बलों के कर्मियों सहित 5000 से अधिक दर्शकों ने देखा।
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Kargil Vijay Diwas: इतिहास में एक मील का पत्थर
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवशाली विरासत है, जिन्होंने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध (Kargil Vijay Diwas ) में अदम्य साहस के साथ लड़ाई लड़ी थी। पाकिस्तान पर भारत की यह तीसरी जीत वास्तव में सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर थी। कारगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) में भारतीय वायुसेना ने 16 हजार फीट से अधिक ऊंची खड़ी ढलानों और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी सैन्य क्षमता का लोहा मनवाया है। इस युद्ध के दौरान दुश्मन पर निशाना साधने में कई तरह की ऑपरेशनल बाधाएं भी आईं। इसके बावजूद भारतीय वायुसेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़े गए इस युद्ध को जीतने के लिए ऑन-द-जॉब-ट्रेनिंग में सबसे आगे रही।
भारतीय वायुसेना ने कुल मिलाकर करीब 5000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही, ELINT मिशन और करीब 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए 2000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं। कारगिल विजय दिवस पर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को नमन किया जाता है। ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट ‘द माइटी आर्मर’ ने अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले चार वायु योद्धाओं के नाम भारतीय वायुसेना के इतिहास में सदैव स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएंगे।