Thursday, December 26, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeफीचर्डHimachal Pradesh: ये जंगली फल बना आमदनी का जरिया, जानिये क्या है...

Himachal Pradesh: ये जंगली फल बना आमदनी का जरिया, जानिये क्या है खास

मंडी: जंगली फल काफल अब लोगों के लिए रोजगार का जरिया बन रहा है। काफल (kafal) उत्तरी भारत और नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र, मुख्यत हिमालय की तलहटी क्षेत्रों में पाया जाने वाला सदा हरा भरा रहने वाला एक काष्ठीय वृक्ष प्रजाति है। काफल का पेड़ 1300 मीटर से 2100 मीटर 4000 फीट से 6000 फीट तक की ऊँचाई पर प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाला वृक्ष है। काफल जोगिन्दर नगर क्षेत्र के गलू, बसाहीधार, घटासनी, भभौरी धार के साथ-साथ मंडी के चैलचौक, पधर इत्यादि क्षेत्रों में बहुतायत में पाया जाता है।

ये भी पढ़ें..बच्चों पर आई नई मुसीबत, तेजी से फैल रहा है ‘टोमैटो…

काफल (kafal) को बॉक्स मर्टल और बेबेरी के नाम से भी जाना जाता है। मंडी जिला के प्रकाश चंद, कृष्ण चंद, देवेंद्र व अजय कुमार सहित कई लोगों के लिए आजकल आमदनी का यह एक बेहतरीन जरिया बना हुआ है। काफल बेचकर न केवल ये लोग प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार रुपए की कमाई कर पा रहे हैं, बल्कि डेढ से दो महीनों तक चलने वाले काफल (kafal) के फल को बेचकर औसतन 60 से 70 हजार रुपए की कमाई कर लेते हैं। ऐसे में काफल बेचने वाले ग्रामीणों के लिए यह जंगली फल काफल वार्षिक आमदनी में कमाई का एक बड़ा जरिया बना है।

मंडी शहर में इस सीजन में कई लोग काफल बेचने के धंधे में लगे हैं। वहीं पर जिला के जोगिंदर नगर शहर के थाना चौक में काफल बेचने वाले प्रकाश चंद ने बताया कि वे पिछले लगभग 10 वर्षों से लगातार काफल बेच रहे हैं तथा आजकल वे प्रतिदिन एक क्विंटल से अधिक मात्रा में काफल बेच देते हैं। जिससे उनको लगभग प्रतिदिन तीन हजार रुपए तक की आमदनी हो जाती है। इसी तरह जोगिंदर नगर बस स्टैंड के बाहर काफल बेचने वाले देवेंद्र कुमार ने बताया कि वह भी पिछले 15-16 वर्षों से लगातार काफल बेच रहे हैं तथा इससे अच्छी आमदनी हो जाती है।

वर्तमान में उन्हे काफल (kafal) से प्रतिदिन लगभग 15 सौ रुपये तक की कमाई हो रही है। इसी तरह जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन के नजदीक लगभग पांच वर्ष से काफल बेचने वाले अजय कुमार ने बताया कि उन्हे भी प्रतिदिन काफल से लगभग 2 हजार रुपएकी आमदनी हो रही है। यही नहीं जोगिन्दर नगर बस स्टेंड में ही काफल बेच रहे कृष्ण चंद ने बताया कि वे भी प्रतिदिन काफल बेचकर एक हजार रुपए तक कमा रहे हैं। अकेले जोगिन्दर नगर शहर में ही आधा दर्जन लोगों के लिये आजकल काफल आमदनी का एक अहम जरिया बना हुआ है।

औषधीय गुणों से भरपूर –

काफल (kafal) जंगली तौर पर पाया जाने वाला एक फल ही नहीं है बल्कि हमारे शरीर में एक औषधि का काम भी करता है। काफल में विटामिन्स, आयरन और एंटी ऑक्सीडेंन्टस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। काफल के पेड़ की छाल, फल तथा पत्तियां भी औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। काफल की छाल में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। इतने गुणों से परिपूर्ण काफल न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम का भी काम करता है। काफल खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं। इसका सेवन मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए भी फायदेमंद माना गया है। काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग के साथ-साथ हृदय व मधुमेह रोग, उच्च एवं निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है। काफल खाने में स्वादिष्ठ, रंग में हरा, लाल और काले रंग का फल है। इस फल को वैज्ञानिक तौर पर माइरिका एस्कुलेंटा के नाम से भी जाना जाता है। काफल का फल गर्मी में शरीर को ठंडक प्रदान करता है। साथ ही इसके फल को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें