Wednesday, November 27, 2024
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Jharkhand: हंगामे के बीच प्रतियोगी परीक्षा विधेयक पास, विपक्ष ने बताया ‘काला कानून’

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रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र (Jharkhand Monsoon Session) के पांचवें दिन गुरुवार को झारखंड प्रतियोगी परीक्षा भर्ती एवं अनुचित साधन निवारण विधेयक 2023 बहुमत से पारित हो गया। सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतियोगी परीक्षा विधेयक (competitive examination bill) के समर्थन में कहा कि पहले यहां की नौकरियों में 75 फीसदी सीटें बाहरी लोगों से भरी जाती थीं, लेकिन अब यहां के युवाओं को अधिक अवसर मिलेंगे। यह बिल सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि बीजेपी शासित राज्यों में भी लाया गया है।

मुख्यमंत्री ने सदन में विधेयक (competitive examination bill) का विरोध कर रहे भाजपा विधायकों को सलाह देते हुए कहा कि विपक्षी विधायकों को भी उन प्रावधानों को पढ़ना चाहिए। हमने कड़ी सजा को काफी हद तक कम कर दिया है। बीजेपी ने राज्य में 20 साल तक शासन किया। उन्होंने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। वहीं, विधेयक को लेकर भाजपा विधायकों ने कड़ा विरोध जताया और इसे प्रवर समिति को सौंपने की बात कही।

विनोद सिंह- छात्रों पर पड़ेगा असर

विधायक विनोद सिंह ने प्रतियोगी परीक्षा विधेयक (competitive examination bill) में करोड़ों रुपये तक का जुर्माना, बिना जांच के जेल भेजने और जेल भेजने के मुद्दे पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित प्रावधान को स्पष्ट किया जाना चाहिए और देखना चाहिए कि इसका सबसे ज्यादा असर छात्रों पर ही पड़ेगा। दरअसल, नकल के मामले में प्रदेश में संगठित अपराध और गिरोह सक्रिय हैं। छात्र ही इसका शिकार होते हैं। उन पर निगरानी की बात हो. बिना जांच के गिरफ्तारी करना और आईओ को असीमित अधिकार देना गलत है। इस विधेयक के लिए नियम नहीं बनाए गए हैं। इसमें कई कमियां हैं।

अनंत ओझा- जल्दबाजी में लाया गया बिल

बीजेपी विधायक अनंत ओझा व नवीन जयसवाल ने कहा कि competitive examination bill जल्दबाजी में लाया गया है। इसे इतिहास में काले कानून के नाम से जाना जाएगा। गड़बड़ी की सूचना देने वाले भी फंसेंगे। छात्र हित में इसे चयन समिति को भेजें। सरकार को इसे बहुमत से पारित कराने पर जोर नहीं देना चाहिए। लंबोदर महतो ने झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक को भी समिति के पास भेजने की मांग की।

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अमित कुमार मंडल- यह काला कानून है

अमित कुमार मंडल ने कहा कि यह काला कानून है। JPSAC, JSSC रिजल्ट के सवाल पर छात्रों, मीडिया को जेल हो सकती है. यह ईस्ट इंडिया कंपनी के रोलेट एक्ट की तरह है। विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि अलग राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक नियोजन को लेकर सवाल उठता रहा है. जेपीएससी, जेएसएससी अपनी गलतियों को छुपाने के लिए इस तरह का बिल लेकर आये हैं, ये सब उन छात्रों को डराने-धमकाने के लिए हो रहा है जो परीक्षा, रिजल्ट की गलतियां निकालेंगे। छात्रों को बिना किसी मुकदमे के जेल में डाल दिया जाएगा। ऐसा तो किसी अपराध में भी नहीं होता।

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