Jharkhand elections 2024 , रांची: झारखंड में छठी विधानसभा की तस्वीर सामने आ गई है और यह पांचवीं विधानसभा से कई मायनों में अलग है। इस बार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 82 से घटकर 81 हो गई है। पुरानी व्यवस्था में 81 विधायक अलग-अलग क्षेत्रों से चुने जाते थे, जबकि एंग्लो इंडियन समुदाय से एक विधायक को राज्यपाल मनोनीत करते थे।
अब एंग्लो इंडियन समुदाय को मनोनयन के जरिए प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। पांचवीं विधानसभा के 82 विधायकों में से 40 इस बार सदन में नहीं दिखेंगे। 42 विधायक दोबारा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं। 29 विधायकों को इस बार हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 4 विधायक इस साल हुए लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद बने हैं। 6 विधायकों ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा।
Jharkhand elections 2024: 29 विधायक चुनाव हारे
जो विधायक इस बार चुनाव हारने के कारण सदन नहीं पहुंच सके उनमें अनंत ओझा (राजमहल), लंबोदर महतो (गोमिया), अमित मंडल (गोड्डा), लोबिन हेम्ब्रम (बोरियो), नारायण दास (देवघर), बादल (जरमुंडी), रणधीर सिंह (सारठ), विनोद सिंह (बगोदर), बिरंची नारायण (बोकारो), अमर बाउरी (चंदनक्यारी), अपर्णा सेन गुप्ता (निरसा), केदार हाजरा (जमुआ), बेबी देवी (डुमरी), पूर्णिमा नीरज सिंह (झरिया), कमलेश कुमार सिंह (हुसैनाबाद), सुदेश महतो (सिल्ली), कोचे मुंडा (तोरपा), बैद्यनाथ राम (लातेहार), बन्ना गुप्ता (जमशेदपुर पश्चिम), रामचन्द्र चंद्रवंशी (विश्रामपुर), भानु प्रताप शाही (भवनाथपुर), पुष्पा देवी (छतरपुर), नीलकंठ सिंह मुंडा (खूंटी), जयप्रकाश भाई पटेल (मांडू), मिथिलेश कुमार ठाकुर (गढ़वा), सुनीता चौधरी (रामगढ़), उमाशंकर अकेला (बरही) और अंबा प्रसाद (बड़कागांव) शामिल हैं।
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Jharkhand elections 2024: सीता मुर्मू सोरेन भी हारी चुनाव
इनके अलावा 2019 में जामा क्षेत्र से विधायक चुनी गईं सीता मुर्मू सोरेन इस बार निर्वाचन क्षेत्र बदलकर जामताड़ा से चुनाव लड़ रही थीं, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। पाकुड़ सीट से पिछला चुनाव जीतने वाले आलमगीर आलम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में हैं और इस बार चुनाव मैदान में नहीं थे।
हालांकि, कांग्रेस ने उनकी जगह उनकी पत्नी निशात आलम को मैदान में उतारा था, जो चुनाव जीतकर सदन पहुंचने में कामयाब रही हैं। चतरा विधायक सत्यानंद भोक्ता, सिमरिया के किशुन दास, सिंदरी के इंद्रजीत महतो, लिट्टीपाड़ा के दिनेश विलियम मरांडी और कांके के समरी लाल भी पार्टी का टिकट नहीं मिलने या अन्य कारणों से इस बार चुनाव नहीं लड़ सके।