न्यूयॉर्कः वैश्विक मंचों पर अपनी आदतों से बाज न आने वाले पाकिस्तान को एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने खरी-खरी सुनाई है। संयुक्त राष्ट्र संघ में वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के समीक्षा प्रस्ताव पर भारत ने साफ कहा कि आतंकवादी सिर्फ आतंकवादी होते हैं, अच्छे या बुरे नहीं। भारत ने चेताया कि आतंकी घटनाओं की मंशा को आधार बनाकर आतंकवाद को बांटना बेहद खतरनाक है और इससे दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ चल रही मुहिम प्रभावित होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ की वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति की आठवीं समीक्षा से जुड़े प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने आतंकवादी कृत्यों के पीछे की मंशा के आधार पर आतंकवाद के वर्गीकरण की प्रवृत्ति को खतरनाक और स्वीकृत सिद्धांतों के खिलाफ बताया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वीकृत सिद्धांतों में साफ कहा गया है कि आतंकवाद की अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद के किसी भी कार्य के लिए कोई औचित्य नहीं हो सकता है। रुचिरा ने इस बात पर जोर देकर कहा कि सभी प्रकार के आतंकी हमले निंदनीय हैं, चाहे वह हमले इस्लामोफोबिया का परिणाम हों या सिख विरोधी, बौद्ध विरोधी या हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह से किये जाएं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नई शब्दावली और झूठी प्राथमिकताओं के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है, जो आतंकवाद के संकट से निपटने के अपने फोकस को कमजोर कर सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि अच्छे या बुरे आतंकवादी नहीं हो सकते। इस तरह का दृष्टिकोण हमें केवल 9/11 के पूर्व के युग में वापस ले जाएगा, जिसमें आतंकवादियों को आपके आतंकवादी और मेरे आतंकवादी के रूप में बांट दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि ने दक्षिणपंथी उग्रवाद, अति दक्षिणपंथी या अति वामपंथी उग्रवाद जैसे शब्दों पर भी आपत्ति जताई। कहा कि इस तरह के शब्द निहित स्वार्थों द्वारा इन शर्तों के दुरुपयोग के लिए द्वार खोलता है। इसलिए, हमें विभिन्न प्रकार के वर्गीकरण प्रदान करने से सावधान रहने की आवश्यकता है, जो लोकतंत्र की अवधारणा के खिलाफ ही हो सकता है। रुचिरा ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आतंकवादियों को शरण देने वाले देशों को चिन्हित कर उनके कार्यों के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
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