अनेक वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत की मजबूत घरेलू खपत और मांग को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) के विकास के पूर्वानुमान को 6.5 से 07 प्रतिशत के मध्य बनाए रखा है। ऐसा तब है, जबकि वैश्विक आर्थिक वातावरण प्रतिकूल है और निर्यात के कमजोर रहने की संभावना है। देश में जीएसटी और प्रत्यक्ष कर का संग्रहण लगातार बढ़ रहा है, चार पहिया और दोपहिया वाहनों की बिक्री में बढ़ोत्तरी हो रही है, क्रेडिट ग्रोथ में लगातार वृद्धि हो रही है और ग्रामीण मांग में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का लगातार विस्तार हो रहा है, सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) से पिछले कुछ वर्षों में उत्पादन के और अधिक बढ़ने की संभावना है। भारत में सेवा क्षेत्र, जो कि पहले से ही काफी मजबूत था, हाल के वर्षों में इसके और सुदृढ़ होने की संभावना है।
मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में है। कच्चे तेल की कीमत में नरमी आने से आगे के समय में इसके बढ़ने का जोखिम भी कम हुआ है। अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 4.53 प्रतिशत के अपने निचले स्तर पर आ गया था। इस समय भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
बाहरी झटकों का अब अर्थव्यवस्था पर असर कम होता है। भारत में आधारिक संरचना को मजबूत किया जा रहा है। यदि अगले एक दशक तक लगातार निवेश होता रहा, तो अर्थव्यवस्था के 2030 तक 07 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाने की संभावना है। यदि नजरिया 2045 और 2050 तक का है, तो यह आने वाले दो-ढाई दशक भारत के हैं। युवाओं के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है और उसका लाभ देश के सभी वर्गों तक पहुंचेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में जा रही है। अभी भारत में अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर भले ही थोड़ी कम हो, परंतु इससे पहले कभी भी विश्व में भारत की सापेक्षिक स्थिति इससे बेहतर नहीं रही। वह समृद्धि की बात हो, मुद्रास्फीति की बात हो, वित्तीय और मौद्रिक नीतियों की प्रभाविता हो, भारत सबसे ऊपर है। इससे पहले विश्व का भारत के प्रति इतनी आशावादिता और भरोसा कभी भी नहीं दिखा।
यह सच में भारत के लिए अमृतकाल है। भारत में खपत लगातार बढ़ रही है। इस दीपावली के दौरान देश में 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का सिर्फ सोना-चांदी खरीदा गया। लगभग चार लाख करोड़ रुपए की खुदरा और ऑनलाइन बिक्री हुई। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े काफी चैंकाने वाले हैं। पिछले कुछ वर्षों में शेयर बाजार में निवेश करने के लिए डिमैट अकाउंट खाता दोगुनी, तिगुनी दर से बढ़ रहा है। शेयर बाजार में निवेश लगातार बढ़ रहा है।
5-7 वर्ष पूर्व तक भारतीय निवेशक बचत का केवल 2.5 से 03 प्रतिशत ही शेयर बाजार में निवेश करते थे, जबकि अब 05 प्रतिशत शेयर बाज़ार में निवेश कर रहे हैं। भारत के वित्तीय संस्थाओं ने अभी शेयर बाजार में पिछले 01 वर्ष में लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है, जो कि विदेशी संस्थाओं और निवेशकों द्वारा किए गए निवेश से लगभग 0.40 लाख करोड़ रुपए अधिक है।
विदेशी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार से पैसा निकालने के बावजूद घरेलू निवेशकों का पैसा लगातार बाजार में आ रहा है। शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों का हिस्सा इस समय 7.62 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस वर्ष 2023 में 50 लाख करोड़ रुपए से अधिक शेयर बाजार में निवेश किए हैं, जबकि छोटे निवेशकों ने 28 लाख करोड़ रुपए निवेश किए हैं। एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में लगातार बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है।
एसआईपी के जरिए आने वाले पैसे के प्रवाह में भी हर महीने नया रिकॉर्ड बन रहा है। जून 2023 में 14,734 करोड़ रुपए एसआईपी के जरिए आया था, जो कि अक्टूबर में बढ़कर 16,928 करोड़ हो गया। इस वित्त वर्ष में एसआईपी खातों की कुल संख्या में लगभग 10 लाख की बढ़ोत्तरी हुई है और यह बढ़कर 73 लाख हो गई है। निवेशकों का यह भरोसा अर्थव्यवस्था को नई ताकत देने वाला है।
अभी 24 नवंबर को पांच महत्वपूर्ण आईपीओ बंद हुए, जिसमें 1.7 लाख करोड़ रूपए से अधिक की बोली लगाई गई। कुल मिलाकर इन पांच आईपीओ में सब्सक्रिप्शन 32 गुना से अधिक हुआ। बाजार में इतना पैसा है, इतनी तरलता है कि इसका लाभ अर्थव्यवस्था को अवश्य मिलेगा। शेयर बाजार आज नई ऊंचाई पर है। इसमें निवेश करने वालों को लंबे समय में इसका लाभ मिलेगा। शेयर मार्केट में पैसा बनाने के लिए यह आवश्यक है कि आप सही समय पर निवेश करें।
सम्पत्ति बनाना है एक कला
प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता, योग्यता तथा अपने कार्य के अनुसार आय अर्जित करता है, परंतु इस आय को संपत्ति या धन में बदलना एक कला है। सामान्य रूप से कहा जाता है कि हमारी आय का जो हिस्सा उपभोग करने के बाद बच जाता है, वह बचत है अर्थात बचत= आय-उपभोग। उस बचत को हम अच्छी जगह निवेश करके एक अच्छा रिटर्न या प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं।
एक समय विश्व के सबसे धनी व्यक्ति रहे विश्व प्रसिद्ध निवेशक वारेन बफेट कहते हैं कि सर्वप्रथम हमें अपने भविष्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अपनी बचत निर्धारित करनी चाहिए, फिर अपने उपभोग को उसके अनुसार व्यवस्थित करना चाहिए अर्थात उपभोग= आय-बचत। अपनी बचत को सही समय पर विभिन्न संपत्तियों में निवेश करके ही हम धन या संपत्ति बनाते हैं। परिसंपत्तियां दो प्रकार की होती हैं, भौतिक परिसंपत्ति और वित्तीय परिसंपत्ति।
भारत में भौतिक संपत्तियों में निवेश करने का रिवाज रहा है। लोग अपनी बचत का ज्यादातर हिस्सा जमीन, मकान और सोने में निवेश करते हैं। वित्तीय संपत्तियों में निवेश करने का प्रचलन कम रहा है। अधिकांश लोग सिर्फ फिक्स डिपॉजिट्स (एफडी) या स्थिर खाते में अपना पैसा लगाते हैं। गलत सलाह के कारण बहुत सारे लोग बीमा में लगाई गई राशि को भी बचत समझते हैं, जबकि उसमें सबसे खराब रिटर्न या प्रतिफल मिलता है। 1991 में उदारीकरण के पश्चात वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश धीरे-धीरे बढ़ा है।
विशेष रूप से अब नई पीढ़ी ने शेयर बाजार की ओर अपनी रुचि बढ़ाई हैऔर म्युचुअल फंड्स में भी बड़े पैमाने पर निवेश में बढ़ोत्तरी हुई है। धन या संपत्ति बनाने के लिए बहुत ही धैर्य, अनुशासन और निरंतरता की आवश्यकता होती है। वस्तुतः वेल्थ क्रिएशन या धन सृजन कंपाउंडिंग का कमाल है और कंपाउंडिंग का लाभ आपको तब मिलता है, जब आप किसी संपत्ति वर्ग में लंबे समय तक निवेशित रहते हैं। यह देखा गया है कि लंबे समय में सबसे अधिक प्रतिफल इक्विटी में मिलता है लेकिन इक्विटी में निवेश सबसे जोखिम भरा है, यदि अनुशासन और धैर्य नहीं है।
शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट से पैसा बनाना आसान नहीं है। इसे हमेशा से काफी उतार-चढ़ाव वाली संपत्ति के रूप में देखा जाता है, जिससे रिटर्न या प्रतिफल की कोई गारंटी नहीं होती है, फिर भी शेयर मार्केट में लंबे समय तक निवेशित रहकर अच्छा प्रतिफल प्राप्त किया जा सकता है। यदि आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए और विभिन्न अध्ययनों को देखा जाए तो हमेशा से ही दीर्घकाल में इक्विटी बाजार में निवेश से, मुद्रास्फीति को समायोजित करने के पश्चात, अन्य सभी दूसरी संपत्तियों में निवेश से अधिक प्रतिफल प्राप्त हुआ है।
शेयर बाजार में निवेश करने का अर्थ है शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों का शेयर खरीदना। ऐसा हम प्राथमिक बाजार और द्वितीय बाजार दोनों में कर सकते हैं। प्राथमिक बाजार में कंपनियां प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (इनीशियल पब्लिक ऑफर या आईपीओ) जारी करती हैं, जो बाद में शेयर बाजार में सूचीबद्ध होता है। शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों की खरीद-बिक्री द्वितीयक बाजार में होती है। शेयर बाजार में शेयर खरीदने से पहले यह जानना आवश्यक है कि कौन से कारक ऐसे हैं, जो की शेयरों की कीमतों को प्रभावित करते हैं। इसके लिए अनेक आंतरिक और बाह्य कारण हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण तो कंपनी की अपनी स्थिति और कार्य है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कंपनी का प्रबंध तंत्र। यदि प्रबंधन तंत्र भरोसेमंद है, योग्य है, कंपनी को लगातार आगे बढ़ा रहा है, कंपनी का विस्तार हो रहा है, इसके लाभ में वृद्धि हो रही है तो ज्यादा से ज्यादा लोग इस कंपनी के शेयर को खरीदना चाहेंगे और इसकी कीमत में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी ऐसी परिस्थितियां बन सकती हैं जिसे किसी कंपनी विशेष को या किसी क्षेत्र विशेष की कंपनियों को अत्यधिक लाभ या हानि की स्थिति हो सकती है। इसका भी शेयर की कीमत पर असर पड़ता है।
किसी देश के राष्ट्रीय आय, मुद्रास्फीति, ब्याज दर इत्यादि में होने वाले परिवर्तनों से भी कंपनी की शेयर की कीमत प्रभावित होती है। ऐसे में महत्वपूर्ण हो जाता है कि किस प्रकार की कंपनी के स्टॉक में निवेश किया जा रहा है, इसके लिए उस क्षेत्र और कंपनी के बारे में पूरी जानकारी आवश्यक है। निवेश के संदर्भ में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि विविध क्षेत्र से विविध कंपनियों को लेकर एक पोर्टफोलियो बनाना आवश्यक है, जिससे कि यदि किसी क्षेत्र विशेष के लिए राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों या नियम, कानून अनुकूल नहीं हुए तो दूसरे क्षेत्र की कंपनियों से लाभ हो सके।
निवेश में सावधानी बेहद जरुरी
जब शेयर बाजार बढ़ रहा होता है, तो कई वर्षों तक अपने अल्पज्ञान का पता ही नहीं चलता है और अधिकांश निवेशक अति आत्मविश्वास में ऐसे निवेश कर डालते हैं, जो कि बाद में उनके लिए घातक सिद्ध होता है। ऐसे में किसी भी स्टॉक के निष्पादन का और परिस्थितियों का तार्किक मूल्यांकन करना आवश्यक है। यदि आपको लगता है कि आप जोखि़म नहीं ले सकते हैं तो आपको सीधे तौर पर शेयर बाजार में निवेश करने से बचना चाहिए और म्युचुअल फंड्स के जरिए ही निवेश करना चाहिए।
यदि आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो कभी भी बिना किसी कंपनी के बारे में जानें, सिर्फ दूसरे के कहने के आधार पर निवेश न करें, किसी भी कंपनी से चिपक मत जाएं और अपना टारगेट पूरा होने पर उसमें लाभ लेकर निकल जाएं। यदि आपके किसी शेयर की कीमत गिर रही हो, तो उस कंपनी के बारे में थोड़ा शोध करें और यदि इसकी स्थिति जल्दी सुधरने की संभावना नहीं है, तो इसमें घाटा उठाकर भी इसे बेच दें। वैसे कभी भी पैनिक में आकर और भावनात्मक आधार पर किसी भी स्टॉक के बारे में धारणा नहीं बनानी चाहिए।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि कभी भी अत्यधिक घाटे वाली और अधिक ऋण वाली कंपनियों के शेयर नहीं खरीदना चाहिए। यदि किसी शेयर में गिरावट आ रही हो, तो ऐसे ही गिरती हुई कीमतों वाले शेयर को लालच में ना खरीदें। येस बैंक का शेयर 800 रूपए से गिरते-गिरते 10 रूपए तक आ गया था। रिलायंस कम्युनिकेशन का शेयर भी किसी समय 800 के आस-पास था, जो गिरकर अब 1.5 रुपए है।
एक और महत्वपूर्ण बात, कर्ज लेकर शेयर बाजार में कोई भी निवेश न करें, अपनी बचत का एक हिस्सा ही बाजार में लगाएं। वस्तुतः शेयर बाजार भय और लालच से चलता है। वारेन बफेट ने कहा है कि जब शेयर बाजार में सभी लालची हो जाए तो फिर डरने की जरूरत है और जब सभी बाजार से डरे हुए हों, तब आप लालची बन जाए। यदि बाजार में दीर्घकाल में निवेशित रहेंगे, तभी कंपाउंडिंग का लाभ मिलेगा। बाजार में गिरावट आती है, तब भी आप निवेशित रहिए। अच्छे समय के लिए धैर्य रखिए और हमेशा 5-10 वर्ष बाद की सोचिए।
बाजार में अनुशासन बहुत जरूरी है। शेयर बाजार में लाभ प्राप्त करने के लिए सतत निवेश और लंबे समय तक निवेश करना और उसमें बने रहना आवश्यक है। जिस क्षेत्र व्यवसाय या कंपनी के बारे में बिल्कुल कोई जानकारी न हो, उसमें निवेश करने से बचना चाहिए। शेयर बाजार में किसी कंपनी के शेयर खरीदना और बेचना अल्पकालीन परिवर्तनों के आधार पर करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए जब लंबे समय तक शेयर बाजार में गिरावट जारी हो, शेयर बाजार में अस्थिरता हो उस समय भी शेयर बाजार में बने रहना बड़ा महत्वपूर्ण है।
जब शेयर बाजार अपनी ऊंचाई पर होता है, तो बहुत सारे नए निवेशक शेयर बाजार की तरफ ललचाई दृष्टि से देखने लगते हैं और निवेश करने की सोचते हैं लेकिन शेयर बाजार में पैसा हमेशा ही सोच-समझ कर धैर्य और अनुशासन बनाए रखकर निवेश किया जाना चाहिए।
यदि आप जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, तो शेयर या इक्विटी बाजार में म्युचुअल फंड के जरिए प्रवेश करिए और इसका सबसे अच्छा तरीका है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या सिप। एसआईपी के जरिए शेयर बाजार में अलग-अलग तरह क़े म्युचुअल फंड के माध्यम से लगातार और लंबे समय तक निवेश करके आप अच्छा प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं। म्युचुअल फंड में भी कम से कम आधा निवेश फ्लेक्सी कैप फंड और बैलेंसड एडवांटेज फंड में करना चाहिए। अपनी उम्र के लिहाज से आप 20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक निवेश स्माॅल और मिड कैप फंड्स में कर सकते हैं।
आजकल हाइब्रिड म्युचुअल फंड स्कीम निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो रही है, जिसमें इक्विटी और ऋण प्रतिभूतियों के साथ-साथ सोने को भी सम्मिलित किया जाता है। पिछले सात महीने में निवेशकों ने इसमें 72 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। कम रिस्क लेने वाले निवेशक इसमें निवेश कर सकते हैं। सामान्य तौर पर लंबे समय में देखा जाए तो म्युचुअल फंड में 12 से 15 प्रतिशत तक प्रतिफल प्राप्त होता है।
यदि 15 वर्षों के लिए 15,000 रुपए प्रति माह आप म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो 15 साल में आपका पैसा एक करोड रुपए से ऊपर हो सकता है। इन 15 वर्षों में आप 27 लाख रुपए का निवेश करते हैं, बाकी का कमाल कंपाउंडिंग का है। प्रत्येक निवेशक को सबसे पहले अपने जोखिम उठाने की क्षमता का आंकलन करना चाहिए, फिर निवेश करना चाहिए।
यदि आप अपने युवावस्था में हैं, अभी आपके पास यदि 25 से 35 वर्ष तक का रोजगार करने के लिए समय है तो आप निश्चित ही लंबे समय के लिए शेयर बाजार में निवेश करके अत्यधिक प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं। जब भी आप अपने पैसे को विभिन्न परिसम्पत्तियों में निवेश करने की सोचें, तो उसमें विविध परिसंपत्तियों को सम्मिलित करने की योजना बनाएं। कभी भी अपने निवेश को किसी एक प्रकार की सम्पत्ति में नहीं लगना चाहिए।
अलग-अलग संपत्ति की श्रेणियों में अपनी बचतों को बांटने से जोखिम कम होता है। भौतिक परिसंपत्तियों और वित्तीय परिसंपत्तियों में निवेश को अपनी आवश्यकता के अनुसार भी बांट सकते हैं। भौतिक परिसंपत्तियों जैसे जमीन, मकान, सोना में तरलता कम होती है, जरूरत पड़ने पर इसे घाटा उठाकर बेचना पड़ सकता है। इस पर प्रतिफल भी दीर्घकाल में इक्विटी बाजार के मुकाबले कम होता है फिर भी अपने बचत का एक हिस्सा जमीन, मकान और सोने में निवेश करना आवश्यक है।
विशेष रूप से यदि आप अपने रहने के लिए घर खरीदना चाह रहे हों, तो सबसे बेहतर यह है कि इसे आप होम लोन के जरिए खरीदें और उस पर कर छूट का लाभ उठाएं, इससे आपका मकान का किराया भी बचेगा। आप अपनी बचत का 10 से 2 प्रतिशत सोने में निवेश कर सकते हैं। सोने में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका है सावरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदना या गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना।
हम भारतीय ज्यादातर निवेश सोने के गहनों को खरीदते हैं, जो कि निवेश के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। अपनी आय का 20 से 4 प्रतिशत हिस्सा आप स्थिर प्रतिफल वाली प्रतिभूतियों में निवेश अवश्य करें। जैसे- फिक्स्ड डिपॉजिट या एफडी में या पीपीएफ में।
रियल एस्टेट और पीपीएफ खाते में निवेश
पीपीएफ खाते में हर महीने 12,500 रूपए जमा करके भी आप एक बड़ी रकम बना सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसी के तहत डेढ़ लाख रुपए तक पीएफ खाते में निवेश पर छूट मिलेगी। इस पर मिलने वाले ब्याज पर भी कर नहीं लगता है। यदि आप पीएफ खाते में 15 वर्ष तक निवेश करते हैं, तो परिपक्वता पर कुल 40.68 लाख रुपए मिलेंगे, जिसमें आपको कुल निवेश 22.50 लाख का होगा।
यदि आप पीएफ में 25 साल तक निवेश करते हैं, तो कुल 01 करोड़ से ज्यादा रुपए मिलेंगे और इस अवधि में आपका कुल निवेश होगा 37.50 लाख रुपए। रियल एस्टेट में औसत रूप में देखें तो 10 प्रतिशत से अधिक रिटर्न की संभावना बहुत ही कम होती है। दूसरे रियल स्टेट में निवेश करना आसान नहीं है, इसके लिए बड़ी मात्रा में एकमुश्त पैसा चाहिए।
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म्युचुअल फंड में आप कम पैसे से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं और यह अत्यधिक तरल भी होता है, आप दो से तीन दिन में अपना पैसा निकाल सकते हैं। म्युचुअल फंड में जोखिम भी शेयर बाजार की अपेक्षा कम होता है, क्योंकि इसका प्रबंधन विशेषज्ञों के हाथ में होता है। लंबी समयावधि में म्युचुअल फंड में निहित जोखिम बहुत कम हो जाता है, जबकि मंदी के दौरान रियल स्टेट में जोखिम बहुत बड़ा है।
भारत की विकास गाथा अभी शुरू हुई है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किसकी सरकार आएगी, किसकी सरकार जाएगी, आने वाला समय भारत का है। शेयर बाजार में और म्यूचुअल फंड में निवेश करने का यह एक उचित समय है। बाजार में उच्चावचन होते रहते हैं। निश्चित रूप से गिरावट आएगी, यह गिरावट भारी भी हो सकती है लेकिन अच्छे शेयर लेकर उसे कुछ समय के लिए भूल जाइए।
निवेशित बने रहिए। गिरावट आने पर संभव हो, तो थोड़ी और खरीदारी कर लीजिए लेकिन रोज-रोज शेयर बाजार न देखिये और नजरिया लम्बे समय का रखिए। यदि नजरिया 5-10 वर्षों का हो और जोखिम लेने की अत्यधिक क्षमता हो तो मध्यम और छोटे शेयरों में निवेश करने पर अधिक पैसा बनेगा। हालांकि, शर्त यह है कि समझदारी से सोच-समझकर और शोध करके निवेश के लिए उचित क्षेत्र और कंपनियों का चयन किया जाए।
उमेश प्रताप सिंह
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