कोलकाताः पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में स्थित डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों (POPSK) के कुछ कर्मचारियों पर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां कड़ी नजर रख रही हैं। इन कर्मचारियों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को पासपोर्ट समेत फर्जी भारतीय दस्तावेज (Indian Documents) मुहैया कराने का आरोप है। अधिकारियों के मुताबिक, राज्य पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
कमीशन के लालच में दे रहे Indian Documents
जांच के दौरान संकेत मिले हैं कि इन केंद्रों से जुड़े कुछ संविदा कर्मचारी और डाक विभाग के स्थायी कर्मचारी भारी कमीशन के बदले ऐसे गिरोहों की मदद कर रहे हैं। पिछले 72 घंटे में फर्जी पासपोर्ट रैकेट से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से दो आरोपी भारतीय डाक विभाग के संविदा कर्मचारी हैं और दो पीओपीएसके केंद्रों से जुड़े थे। गिरफ्तार आरोपियों में तारकनाथ सेन और दीपक मंडल शामिल हैं। तारकनाथ सेन को कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गिरफ्तार किया, जबकि दीपक मंडल को पश्चिम बंगाल पुलिस के तटीय विभाग ने पकड़ा। जांच अधिकारियों को इन रैकेटों की कार्यप्रणाली में कई समानताएं मिली हैं। इन गिरोहों का मुख्य काम बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पहचान पत्र तैयार करना है।
रैकेट से जुड़े लोगों की पहचान में जुटी एजेंसी
अधिकांश गिरोह सीमावर्ती गांवों से काम कर रहे हैं, जो भारत-बांग्लादेश भूमि और तटीय सीमा क्षेत्रों के पास स्थित हैं। हाल ही में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के पूर्व सहयोगी सलीम मतबर को कोलकाता के पार्क स्ट्रीट इलाके के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था।
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सलीम के पास से एक फर्जी भारतीय पासपोर्ट बरामद किया गया। जांच में पता चला कि वह अवैध रूप से सीमा पार कर आया था और सीमावर्ती नदिया जिले में सक्रिय एक रैकेट से फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और ऐसे रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।
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