केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानून को रद्द करने समेत कुछ अन्य मांगों को लेकर कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का मुंबई स्थित राजभवन में घेराव की रणनीति बनायी थी, लेकिन राज्यपाल के 12 से 17 जनवरी तक विदर्भ के दौरे पर रहने की वजह से कांग्रेस ने अपने कार्यक्रम में बदलाव करके राज्यपाल को मुंबई के स्थान पर नागपुर के राजभवन में आगामी 16 जनवरी को घेरने का निर्णय लिया है। 16 जनवरी को देशभर में कोरोना वैक्सीन का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरु किया जाएगा और इसी दिन प्रदेश कांग्रेस की ओर से से नागपुर स्थित राजभवन को घेरने की तैयारी की गई है। प्रदेश कांग्रेस की ओर से 16 जनवरी को किसान अधिकार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। किसान अधिकार दिवस को सफल बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं का जमावड़ा राज्य की उप राजधानी तथा संतरानगरी नागपुर में होगा। राजभवन धेराव के प्रदेशव्यापी कार्यक्रम क माध्यम से कांग्रेस शक्ति प्रदर्शन करने की रणनीति बनायी है।
16 जनवरी को जहां एक तरफ भाजपा के कई दिग्गज नेता उप राजधानी नागपुर के विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण को सफल बनाने की जी तोड़ कोशिश करेंगे तो दूसरी ओर कांग्रेस के नेता राजभवन में केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीति का विरोध करने के लिए एकत्रित होंगे। राजभवन घेराव के इस कार्यक्रम में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष तथा राज्य की महाविकास आघाडी की सरकार के राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात के अतिरिक्त राज्य के अधिकांश वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस के वर्तमान तथा पूर्व मंत्री, सांसद, विधायकों का जमावड़ा रहेगा। दोपहर 12 बजे राजभवन पर किसान अधिकार दिवस के मौके पर राज्यपाल को घेरना कितना उचित है, ऐसा सवाल भी उठाया जा रहा है। राज्यपाल एक सम्मानित पद है।
प्रदेश के प्रथम नागरिक का इस तरह के घेराव करना ठीक नहीं है। कोरोना महामारी के बीच राजभवन पर राज्यपाल का घेराव करने पर आपत्ति भी उठायी जा रही है। कोरोना के मद्देनज़र कहीं भी भीड़ न करने के बावजूद कांग्रेस के शहर तथा जिला अध्यक्ष की ओर से की गई है। नागपुर शहर में राज्य सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख, विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले, मदद तथा पुनर्वास मंत्री विजय वेडट्टीवार के साथ-साथ विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी जैसे-जैसे नेताओं का आगमन होता ही रहता है।
16 जनवरी को निकाले जाने वाले मोर्चे की तैयारी के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव आशीष दुआ ने विगत दिनों नागपुर में एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में नागपुर कांग्रेस शहराध्यक्ष विधायक विकास ठाकरे, जिलाध्यक्ष राजेंद्र मुलक, वरिष्ठ नेता नाना गावंडे, विधायक राजू पारवे, अभिजीत वंजारी आदि उपस्थित थे। इस बैठक में शामिल स्थानीय नेताओं को आवश्यक सूचनाएं दी गई। कांग्रेस प्रदेश महासचिव मोहन जोशी पर मोर्चे की तैयारियां की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। मोहन जोशी स्थानीय नेताओं के साथ बैठक करके मोर्चे के बारे में दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
कांग्रेस पार्टी की ओर से राजभवन में 16 जनवरी को आयोजित किए जाने वाले किसान अधिकार दिवस तथा राज्यपाल के घेराव के कार्यक्रम को सफल बनाने को कांग्रेस के नेताओं की ओर से पूरी कोशिश तो की ही जा रही है, साथ ही कुछ दिनो पहले बनाए सोशल मिडिया के माध्यम से भी इस आंदोलन को सफल बनाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस ने पिछले दिनों 428 लोगों की जैबो कार्यकारिणी की घोषणा की थी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सोशल मिडिया विभाग के अध्यक्ष रोहन गुप्ता के अनुसार तथा महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बाला साहेब थोरात के अनुसार महाराष्ट्र सोशल मिडिया विभाग की 428 पदाधिकारियों की मेगा कार्यकारिणी में 48 जिलाध्यक्ष, 252 विधानसभा अध्यक्ष, 152 प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य तथा दस कोर कमेटी सदस्यों के बारे में जानकारी सोशल मिडिया विभाग के अध्यक्ष अभिजीत सपकाल ने दी। 16 जनवरी को होने वाले किसान अधिकार दिवस तथा राजभवन में राज्यपाल को घेरने के कांग्रेस के आंदोलन को सफल बनाने के लिए सोशल मिडिया टीम का सहयोग भी मिलेगा।
केंद्र सरकार की ओर से अमल में लाए गए तीनों कृषि कानून, कृषि कानून रद्द करने के मुद्दे पर राज्यपाल को राजभवन में घेरने के लिए कांग्रेस की ओर से किसान अधिकार दिवस के रूप में किए जाने 16 जनवरी के राजभवन घेरने के कार्यक्रम के माध्यम से कांग्रेस यह बताने की कोशिश करना चाहती है कि वह किसानों तथा जनहितों के बारे में कितना सोचती है। कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण के शुभारंभ के राष्ट्रीय कार्यक्रम शुभारंभ के दिन ही कांग्रेस ने राजभवन के घेराव करने का कार्यक्रम क्यों बनाया। प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसियों की ओर से 16 जनवरी के कार्यक्रम के सफल बनाने की कोशिशों के बीच राज्यपाल के घेराव के पीछे के कारणों की मिमांसा करने पर इस बात का खुलासा हो जाएगा कि केंद्र सरकार की ओर अमल में लाए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए राज्यपाल का घेराव करने के लिए मोर्चा निकालने की परंपरा ठीक नहीं है। राज्यपाल एक सम्मानित पद है और इस पद पर आसीन व्यक्ति का घेराव करना एक अच्छी परंपरा नहीं है। विरोध करने के कई तरीके होते हैं।
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अमतौर पर राजभवन पर दस्तक तब दी जाती है, जब हालात बहुत ज्यादा खराब हो जाए। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की गुहार लगाते हुए सिने अभिनेत्री कंगना रनौत ने शिवसेना की ओर से परेशान किए जाने के मुद्दे पर राजभवन का द्वारा खटखटाया था, लेकिन किसान बिल के मुद्दे पर महाराष्ट्र के राजभवन में राज्यपाल को घेरने का कांग्रेस का कार्यक्रम ज्यादातर लोगों को पसंद नहीं आएगा। कांग्रेस के साथ-साथ शिवसेना तथा राकांपा ने भी राज्य में सरकार बनाने के मुद्दे पर राज्यपाल के खिलाफ भी अपना गुस्सा दिखाया था, वहीं कांग्रेस एक बार फिर राजभवन में राज्यपाल को घेरने की जोरदार तैयारी कर रही है। कांग्रेस के 16 जनवरी के किसान अधिकार दिवस पर क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस नेताओं की तैयारियों को देखकर यह लगता है कि कांग्रेस 16 जनवरी के आंदोलन को अपनी तरफ से इतना ज्यादा सफल बनाएगी कि वह यह बता सके कि कांग्रेस जनहितों के मुद्दे पर वह भी अन्य राजनीतिक दलों से बीस नहीं तो उन्नीस भी नहीं है।
(सुधीर जोशी, महाराष्ट्र)