Himachal Pradesh: जिला सिरमौर के ट्रांसगिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का मामला एक बार फिर लटक गया है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य की सुक्खू सरकार की अधिसूचना के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। सुक्खू सरकार ने तीन दिन पहले हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिया था।
गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने ट्रांसगिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय को आरक्षण देने के प्रावधान को चुनौती दी थी। जिस पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर दिए हैं। हालाँकि, केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाए जाने के बाद हिमाचल सरकार ने भी इसे हरी झंडी दे दी थी क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन था, इसलिए अब हाटी समुदाय के लोगों को अदालत के फैसले का इंतजार करना होगा।
मानदंडों को पूरा नहीं कर सका हाटी समुदाय
इस मामले में याचिकाकर्ताओं के वकील रजनीश ने कहा कि हाई कोर्ट ने हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए संविधान संशोधन और राज्य सरकार द्वारा की गई अधिसूचना पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी दर्जा देने के लिए स्थानीय सामुदायिक मानदंडों को आधार बनाया जाता है। इसके अंतर्गत उस क्षेत्र के आर्थिक पिछड़ेपन और साक्षरता को परखा जाता है। लेकिन, हाटी समुदाय इन मानदंडों को पूरा करने में विफल रहा।
साक्षरता दर 80 फीसदी, सबसे अमीर गांव
उच्च न्यायालय ने पाया कि ट्रांसगिरि क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय निर्धारित शैक्षिक और आर्थिक प्रावधानों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। इस इलाके का एक गांव एशिया का सबसे अमीर गांव माना जाता है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में साक्षरता दर 80 फीसदी है। उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी, तब तक हाटी को आदिवासी दर्जा मिलने पर रोक रहेगी। खास बात यह है कि सुक्खू सरकार ने एक जनवरी को हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की केंद्र सरकार की अधिसूचना को मंजूरी दे दी है।
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1967 से चल रहा संघर्ष
आपको बता दें कि उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति का दर्जा मिलने के बाद ट्रांसगिरि क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967 से संघर्ष कर रहे थे। कई सालों के लगातार संघर्ष के बाद 14 सितंबर 2022 को केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को अपनी मंजूरी दे दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस बिल को 16 दिसंबर 2022 को लोकसभा से पास करा लिया। राज्यसभा से पास होने और सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया। 9 दिन के अंदर ही राष्ट्रपति ने बिल को मंजूरी दे दी थी।
चार विधानसभा क्षेत्रों में करीब दो लाख आबादी
चार विधानसभा क्षेत्रों शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद और पांवटा साहिब में हाटी समुदाय के करीब दो लाख लोग रहते हैं। जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से 154 पंचायतें ट्रांसगिरि में आती हैं। एसटी संशोधित विधेयक में इन 154 पंचायतों की 14 जातियों और उपजातियों को शामिल किया गया है।
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