Friday, October 11, 2024
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ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की मॉनिटरिंग नहीं करने पर हाई कोर्ट ने आईसीएमआर को चेताया

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की मॉनिटरिंग नहीं करने पर आईसीएमआर को चेतावनी दी है। जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने दलीलें सुनने के लिए 14 सितम्बर की तिथि नियत करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि आईसीएमआर को निजी पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी की शिकायतों को देखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आईसीएमआर चाहे तो कानून का उल्लंघन करने वाली लेबोरेटरीज का लाइसेंस निरस्त कर सकता है। आईसीएमआर ही लेबोरेटरी को लाइसेंस देती है।

दरअसल, आईसीएमआर ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी पर नियंत्रण करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। आईसीएमआर ने कहा कि निजी लेबोरेटरी को एनएबीएल ही सर्टिफिकेट जारी करती है। आईसीएमआर ने कहा है कि कोरोना के टेस्टिंग लेबोरेटरी की स्थापना के लिए उसने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी किए हैं। इनके लिए देश भर में 14 मेंटर इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है। दिल्ली के लेबोरेटरीज के लिए एम्स अस्पताल को मेंटर इंस्टीट्यूट बनाया गया है।

पिछले 12 अगस्त को कोर्ट ने आईसीएमआर को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। 12 नवम्बर, 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका जयपुर के एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि 6 अगस्त, 2020 को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और आईसीएमआर को ऐसी आनलाइन लैब्स के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जिसका पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा था कि healthian और 1mg जैसे आनलाइन पैथोलॉजी लैब्स दिल्ली में अवैध तरीके से काम कर रहे हैं। ये आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

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आनलाइन पैथोलॉजी सर्विस के जरिये लोग अपनी सुविधा के मुताबिक सैंपल देने के लिए बुकिंग करवाते हैं। याचिका में कहा गया था कि इन लैब्स के संचालकों के क्वालिफिकेशन का वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया है। ये आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए कोरोना का अनधिकृत रूप से टेस्ट कर रहे हैं । ऐसा करना संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन है।

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