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शिया मुसलमानों के पहले इमाम हजरत अली ने दिया अमन और शांति का संदेश

नई दिल्लीः मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत अली के जन्मदिन को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं और एक-दूसरे को बधाईयां भी देते हैं। हजरत अली ने लोगों को अमन और शांति का संदेश दिया था। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रज्जब माह की 13 तारीख 601 ई को हजरत अली का जन्म मक्का में हुआ था। हजरत अली शिया मुसलमानों के पहले इमाम कहे जाते हैं। हजरत अली इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर मोहम्मद साहब के दामाद और चचेरे भाई थे। उनके बचपन का नाम इब्न-ए-अबी तालिब था।

हजरत अली ने सभी लोगों से प्रेम करने का संदेश दिया था। वह कहते थे कि जो आज तुम्हारा दुश्मन है वह एक न एक दिन दोस्त जरूर बन जाएगा इसलिए किसी से भी भेदभाव की भावना को मन में न रखें। कहा जाता है कि 660 ई में रमजान माह की 21वीं तारीख को मस्जिद में सुबह की नमाज पढ़ते समय उनकी हत्या कर दी गई थी। हजरत अली ने इस्लाम धर्म में प्रेम और सद्भाव की कई बातें बतायी हैं। हजरत अली भीख मांगने को गलत मानते थे। उनके अनुसार भीख मांगने या फिर किसी के सामने हाथ फैलाना बेहद शर्मनाक काम है।

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इसके साथ ही हजरत अली ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह से सोच-समझ लेना चाहिए। क्योंकि वह मानते थे कि किसी भी बात को बोलने से पहले शब्द आपके गुलाम होते हैं पर बोलने के बाद आप शब्दों के गुलाम बन जाते हैं। हजरत अली ने कहा कि किसी को भी दूसरे व्यक्ति की पीठ पीछे बुराई नही करनी चाहिए। ऐसा काम वह इंसान करते है जो स्वयं किसी भी काम को करने में असमर्थ होते हैं। उनके अनुसार किसी भी रिश्ते में थोड़ा समझौता करना सीखना चाहिए। क्योंकि किसी भी रिश्ते के हमेशा के लिए टूटने से बेहतर है कि आप उस रिश्ते के बचाने के लिए खुद झुक जाए।